जम्मू। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला ने फिर पाकिस्तान का राग अलापा है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को खत्म करने के लिए पाकिस्तान के साथ वार्ता करने की पैरवी करते हुए कहा कि मित्रता क्षेत्र में विकास की कुंजी है। इससे पहले महबूबा मुफ्ती ने भी केंद्र को पाकिस्तान से वार्ता की वकालत कर चुकी हैं।
अब्दुल्ला ने कहा कि आतंकवाद को खत्म करने के (भाजपा के) दावे के विपरीत (जम्मू-कश्मीर में) अब भी आतंकवाद है। अगर हम इसे खत्म करना चाहते हैं तो हमें हमारे पड़ोसियों से बातचीत करनी चाहिए।
यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूर्ववर्ती राज्य के भूतपूर्व मुख्यमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपायी के इन शब्दों 'आप अपने दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन अपने पड़ोसी नहीं' को याद करते हुए कहा कि या तो हम दोस्ती और समृद्धि बढ़ाएंगे या दुश्मनी जारी रखेंगे, तो कोई समृद्धि नहीं होगी। वे श्रीनगर के भगत इलाके में 19 फरवरी को आतंकवादी हमले में दो पुलिसकर्मियों की मौत के संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।
अब्दुल्ला ने कहा कि मैं सरकार से अपील करता हूं कि वे वैसा ही नजरिया अपनाएं जैसा उन्होंने लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध को लेकर अपनाया और सैनिकों की वापसी शुरू हुई। जम्मू कश्मीर को (आतंकवाद के चंगुल से निकालने के लिए) इसी की यहां जरूरत है।
उनकी पार्टी द्वारा परिसीमन आयोग की बैठक का बहिष्कार करने के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा, “हमने पहले ही कहा है कि उन्होंने पांच अगस्त (2019) को जो किया है वह हमे स्वीकार्य नहीं हैं। जब हमने यह स्वीकार ही नहीं किया है तो हम जम्मू-कश्मीर के लिए कैसे परिसीमन आयुक्त स्वीकार कर सकते हैं। (भाषा)