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सिंधिया के बाद जितिन प्रसाद का भाजपा में जाना राहुल-प्रियंका के लिए आत्ममंथन का समय

उत्तर प्रदेश में नहीं चल रहा प्रियंका गांधी का सिक्का: रशीद किदवई

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विकास सिंह

, बुधवार, 9 जून 2021 (15:00 IST)
उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। राहुल गांधी की कोर टीम के प्रमुख सदस्य माने जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ‘हाथ’ का साथ छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं। जितिन प्रसाद कांग्रेस के सीनियर नेता जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं। दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद जितिन प्रसाद भाजपा मुख्यालय में पार्टी में शामिल हुए। भाजपा में शामिल होने के बाद जितिन प्रसाद ने कांग्रेस का बिना नाम लिए कहा कि बाकी पार्टी व्यक्ति विशेष के नाम पर चलती हैं।
 
पहले भी दिखाए थे बागी तेवर- गौरतलब है कि 2019 का लोकसभा चुनाव जितिन प्रसाद धौरहरा संसदीय सीट से कांग्रेस के टिकट पर हार चुके हैं। जितिन प्रसाद के लंबे समय से कांग्रेस से नाराजगी की खबरें खूब सुर्खियां बटोर रही थीं। राजस्थान में सचिन पायलट को गहलोत मंत्रिमंडल से हटाने जाने का भी जितिन प्रसाद ने विरोध किया था। वहीं पिछले दिनों कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव और पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग को लेकर सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले 23 नेताओं में जितिन प्रसाद का नाम भी शामिल था। 
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सिंधिया ने किया स्वागत- वहीं भोपाल दौरे पर पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जितिन प्रसाद को अपना छोटा भाई बताते हुए भाजपा में शामिल होने पर खुशी जताई। सिंधिया ने कहा कि जितिन छोटे भाई जैसे हैं और भाजपा में आने से वे खुश हैं। 

राहुल गांधी के लिए आत्ममंथन का समय- ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद अब जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने को कांग्रेस की राजनीति को बेहद करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई कांग्रेस से ज्यादा राहुल गांधी के लिए बड़ा झटका मानते हैं। वह कहते हैं कि कांग्रेस में राहुल के सहयोगी रहे लोगों में ज्यादा बैचेनी है,चाहे वह भाजपा में गए ज्योतिरादित्य सिंधिया हो या जितिन प्रसाद या राजस्थान में बैचेन दिख रहे सचिन पायलट। भले ही कांग्रेस के यह नेता चुनाव में भाजपा से हारे हुए हो लेकिन अपनी हार के लिए राहुल गांधी को ही जिम्मेदार मानते हैं।

राहुल के साथी रहे कांग्रेस को छोड़कर जाने वाले यह नेता मानते हैं कि राहुल में लड़ने की शक्ति कम है,राहुल कांग्रेस में बदलाव नहीं ला पा रहे हैं। यह राहुल के लिए भी आत्मचिंतन का समय है कि उनकी वजह से कांग्रेस कमजोर हो रही है।
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प्रियंका का नहीं चल रहा सिक्का-वहीं जितिन प्रसाद के कांग्रेस में शामिल होने को मिशन 2022 में जुटी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के लिए भी बड़ा झटका है। वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई कहते हैं अगर उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के होने के बाद भी ब्राह्मण नेता कांग्रेस छोड़कर जा रहे हैं तो यह साफ है कि प्रियंका का सिक्का नहीं चल रहा है। रशीद किदवई कहते हैं कि असल में प्रियंका गांधी की समस्या यही है कि उनका पूरा समय फायर फाइटिंग में जा रहा है वह पार्टी और संगठन में मजबूती के लिए कुछ नहीं कर पा रही हैं। 
 
भाजपा की सिर्फ इंवेट राजनीति- यूपी चुनाव से ठीक पहले जितिन प्रसाद के भाजपा में जाने को कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। जितिन का परिवार पिछली तीन पीढ़ियों से कांग्रेस से जुड़ा था। जितिन के भाजपा में जाने पर रशीद किदवई कहते हैं कि जितिन प्रसाद का भाजपा में शामिल होना महज एक इंवेट राजनीति का एक हिस्सा है।

जितिन प्रसाद का भाजपा में शामिल होना चुनाव से पहले भाजपा की मनोवैज्ञानिक प्रेशर की रणनीति से ज्यादा कुछ नहीं है,इसका वोटबैंक की राजनीति से कोई ज्यादा महत्व नहीं है। वह आगे कहते हैं कि अगर यूपी में ब्राह्मणों को कांग्रेस को वोट देना होगा तो वह प्रियंका गांधी के नाम पर देंगे। वैसे भी 2019 के लोकसभा चुनाव में जितिन प्रसाद खुद जमानत जब्त करवा चुके हैं। 
 
वह कहते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले भी जितिन प्रसाद ने ऐसा प्रयास किया था। आज कांग्रेस में जो दिख रहा है वह यह है कि राहुल गांधी के सहयोगी उनमें ज्यादा बेचैनी है और वहीं संघर्ष के समय में एक-एक करके जा रहे हैं चाहे ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में गए हो या राजस्थान में सचिन पायलट बैचेन हो या जितिन प्रसाद का भाजपा में शामिल होना हो। 

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