नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 'वर्चुअल' शव परीक्षण करने की सुविधा की शुरूआत शनिवार को हो गई। पारंपरिक पोस्टमार्टम की तुलना में इस प्रक्रिया में बहुत कम समय लगता है।
वर्चुअल ऑटोप्सी (शव परीक्षण) स्कैनिंग और इमेजिंग प्रौद्योगिकी के जरिए की जाती है। इसके तहत विभिन्न ऊतकों और अंदरुनी अंगों की सीटी स्कैन मशीन के जरिए जांच की जाती है। शव को सीटी स्कैन मशीन पर रखा जाता है, जहां चंद सेकंड में ही करीब 25000 तस्वीरें मिल जाती हैं, जिनकी विशेषज्ञ जांच करते हैं।
इस सुविधा केंद्र का उद्घाटन भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने किया। इस नए केंद्र के बारे में एम्स फॉरेंसिक विभाग के प्रमुख सुधीर गुप्ता ने बताया कि यह शव के गरिमापूर्ण प्रबंधन की दिशा में उठाया गया एक कदम है।
उन्होंने कहा, आज से शव के गरिमापूर्ण प्रबंधन के लिए यह सुविधा शुरू हो रही है। अनुसंधान के विभिन्न उद्देश्यों के लिए भी शव की चीरफाड़ करने की जरूरत नहीं होगी। अन्य अंगों की क्या स्थिति है और व्यक्ति की मौत किस कारण हुई, इस बारे में हम कई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। गुप्ता ने कहा कि शव परीक्षण की इस प्रक्रिया में महज 10 मिनट लगेंगे।(भाषा)