नई दिल्ली। दिल्ली की वायु गुणवत्ता मंगलवार को 'बहुत खराब' श्रेणी में दर्ज की गई क्योंकि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने वाले क्षेत्रों से लगातार हवा बहकर इधर आ रही है। प्रदूषण की निगरानी करने वाली संस्था सीपीसीबी ने 8 से 10 नवंबर तक शहर में ट्रकों के प्रवेश पर पाबंदी लगाने की सिफारिश की है।
दिल्ली के 25 इलाकों में वायु की गुणवत्ता ‘काफी खराब’ दर्ज की गई जबकि आठ क्षेत्रों में यह ‘खराब’ रही। विशेषज्ञों ने आगाह किया कि इस दिवाली पर पिछले साल की तुलना में कम प्रदूषणकारी पटाखे जलाए जाने के बाद भी प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ सकता है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन ने लोगों से बुधवार को पटाखा मुक्त दिवाली मनाने की अपील करते हुए प्रदूषण कम करने में सहयोग की अपील की।
पर्यावरण मंत्रालय के बाहर लोगों ने प्रदूषण के खतरनाक स्तर के विरोध में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को एक पत्र सौंप सांस लेने के अधिकार की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजधानी में स्वच्छ हवा कार्यक्रम के जल्द क्रियान्वयन की मांग की। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने कहा कि वह दिल्ली में खतरनाक प्रदूषण से निपटने के लिए दिवाली के बाद कृत्रिम वर्षा कराने पर विचार कर रहा है।
अधिकारी ने कहा कि वे मौसमी स्थितियों के स्थिर होने का इंतजार कर रहे हैं और उसके बाद कृत्रिम वर्षा के लिए ‘क्लाउड सीडिंग’ की जाएगी। सीपीसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वे दिवाली के बाद कृत्रिम वर्षा कराने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर और भारतीय मौसम विभाग से बातचीत कर रहे हैं।
दिवाली के बाद प्रदूषण के गंभीर से अधिक आपातकालीन श्रेणी में पहुंचने की आशंका है। क्लाउड सीडिंग एक प्रक्रिया होती है जिसके तहत सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस और नमक सहित विभिन्न रासायनिक तत्वों का इस्तेमाल करके वर्तमान बादलों को घना बनाया जाता है, जिससे वर्षा या बर्फबारी की संभावना बढ़ती है। आईआईटी कानपुर के एक प्रोफेसर ने कहा कि मौसमी परिस्थितियों के कृत्रिम वर्षा के लिए अनुकूल होने की निगरानी की जा रही है।
वर्ष 2016 में सरकार ने कृत्रिम वर्षा के लिए क्लाउड सीडिंग की संभावना का पता लगाने का प्रयास किया लेकिन योजना काम नहीं कर पाई। गत वर्ष सरकार ने हेलीकॉप्टर से पानी का छिड़काव का प्रस्ताव किया ताकि धूल में कमी लाई जा सके। दिल्ली की वायु गुणवत्ता पिछले तीन सप्ताह में काफी खराब हो गई है। सोमवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता इस मौसम की सबसे खराब दर्ज की गई। शहर में प्रदूषण तय स्तर से आठ गुना ज्यादा दर्ज किया गया।
चिकित्सकों का कहना है कि वायु प्रदूषण का लोगों की सेहत पर असर एक दिन में 15-20 सिगरेट पीने के बराबर है। सीपीसीबी के आंकड़ों के अनसार, दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) मंगलवार को 320 दर्ज किया गया। यह बेहद खराब श्रेणी में आता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक 394 दर्ज किया गया जो कि बहुत खराब श्रेणी में आता है।
सोमवार के मुकाबले इसमें मामूली सुधार दर्ज किया गया। सोमवार को एक्यूआई 434 था जो कि गंभीर श्रेणी में आता है। अधिकारी लगातार बने हुए प्रदूषण की वजह हवा की दिशा को बता रहे हैं जो कि पंजाब और हरियाणा के पराली जलाने वाले क्षेत्रों की ओर से बह रही है।
केंद्र सरकार की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (सफर) के अनुसार दिवाली के बाद दिल्ली की वायु गुणवत्ता बिगड़कर ‘गंभीर और आपात’ श्रेणी में जा सकती है। सीपीसीबी ने कहा है कि उसने अधिकारियों से सिफारिश की है कि दिवाली के बाद 8 से 10 नवंबर तक दिल्ली में भारी वाहनों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी जाए, क्योंकि तब वायु गुणवत्ता के और खराब होकर गंभीर श्रेणी में पहुंचने के आसार हैं।
सीपीसीबी के अधिकारी ने कहा कि इन वाहनों से होने वाले भारी प्रदूषण के मद्देनजर यह सिफारिश की गई है। अन्य सिफारिशों में कूड़े के निपटान और इसे जलाने पर कड़ी निगरानी, यातायात के दबाव और जाम से निपटने के लिए यातायात पुलिस के इंतजाम शामिल हैं।
इसके अलावा टास्क फोर्स द्वारा सुझाए गए उपायों, निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध और कोयले व बायोमास आधारित उद्योगों की बंदी आदि पर अमल जारी रहेगा। सीपीसीबी ने लोगों से डीजल की निजी कारों के इस्तेमाल से परहेज की भी अपील की है। (भाषा)