जयपुर। कांग्रेस शासित राजस्थान के ताजा राजनीतिक घटनाक्रम में राज्य के लगभग डेढ़ दर्जन नेता मुख्य भूमिका में सक्रिय हैं जिन पर सबकी निगाहें लगी हैं। जानिए कौनसे हैं वे दिग्गज नेता
अशोक गहलोत : तीसरी बार मुख्यमंत्री बने अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल हैं। दिसंबर 2018 में कांग्रेस के सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री पद को लेकर उनका सचिन पायलट के साथ टकराव था। जुलाई 2020 में जब तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने गहलोत के नेतृत्व को लेकर बगावत की थी तो उस दौरान गहलोत अपनी सरकार को बचाने में सफल रहे।
सचिन पायलट : गहलोत के पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने की स्थिति में मुख्यमंत्री पद से उनके त्यागपत्र देने पर सचिन पायलट मुख्यमंत्री पद के लिए प्रबल दावेदार हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकाल में पायलट प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे और जब दिसंबर 2018 में कांग्रेस सत्ता में आई तब पायलट ने मुख्यमंत्री पद के लिए दावा किया था, हालांकि गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया गया और उन्हें उपमुख्यमंत्री। उन्होंने अपने 18 समर्थक विधायकों के साथ जुलाई 2020 में गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत की थी। उसके बाद पार्टी आलाकमान ने उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख और उपमुख्यमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया।
अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और राजस्थान के प्रभारी अजय माकन तथा राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को पार्टी आलाकमान ने विधायकों से अलग-अलग बातचीत कर कांग्रेस विधायक दल की बैठक में प्रस्ताव पारित कराने के लिए दिल्ली से जयपुर भेजा था।
शांति धारीवाल : अशोक गहलोत के कट्टर समर्थक शांति धारीवाल शहरी विकास और आवास विकास (यूडीएच) और संसदीय कार्य मंत्री हैं। उन्होंने गहलोत के वफादार विधायकों की अपने आवास पर बैठक बुलाकर यह सुनिश्चित करने की रणनीति तैयार की कि पायलट को मुख्यमंत्री न बनाया जाए। वे गहलोत के पहले के कार्यकाल के दौरान यूडीएच और गृहमंत्री भी थे और गहलोत ने कुछ महीने पहले भी कुछ मौकों पर कहा था कि अगर कांग्रेस अगले विधानसभा चुनाव में सत्ता बरकरार रखती है तो वे धारीवाल को वही विभाग आवंटित करेंगे।
प्रताप सिंह खाचरियावास: गहलोत सरकार में एक और कैबिनेट मंत्री खाचरियावास गहलोत के पक्ष में मुखर रहे हैं और जोर देकर कहा कि मुख्यमंत्री को बिलकुल भी नहीं बदला जाना चाहिए। वे रविवार को जैसलमेर दौरे के दौरान गहलोत के साथ गए थे और वहां से लौटने के बाद वे धारीवाल के आवास पर अन्य विधायकों के साथ शामिल हुए। 2018 में विधानसभा चुनाव से पहले जब पायलट प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख थे, उस दौरान प्रताप सिंह को सचिन पायलट का करीबी माना जाता था। बाद में वे गहलोत खेमे में चले गए। 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान खाचरियावास उन नेताओं में से एक थे, जो सबसे आगे थे और गहलोत के पक्ष में मुखर थे।
सीपी जोशी: राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष गहलोत खेमे से मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं। यदि गहलोत को पार्टी अध्यक्ष बनने के लिए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ता है तो सीपी जोशी वह नाम है, जो माना जाता है कि गहलोत ने पार्टी आलाकमान को प्रस्तावित किया था। वे कल रविवार को वे अपने आवास पर मौजूद थे और उन्होंने गहलोत के वफादार विधायकों द्वारा सौंपे गए इस्तीफे ले लिए। वे एआईसीसी महासचिव और केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं।
गोविंद सिंह डोटासरा: जाट नेता और प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा हाल के दौरों में गहलोत के साथ नियमित रूप से जाते रहे हैं। उन्हें उपमुख्यमंत्री पद की दौड़ में उम्मीदवार माना जा रहा है।
संयम लोढ़ा : लोढ़ा ने टिकट से वंचित होने के बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीता। वे गहलोत के वफादार विधायक हैं और उन्होंने रविवार को पार्टी आलाकमान को सबसे पहले चुनौती दी थी कि अगर पायलट खेमे से किसी को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो यह सरकार की स्थिरता के लिए खतरा होगा।
महेश जोशी व महेंद्र चौधरी: जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी (पीएचईडी) मंत्री व मुख्य सचेतक महेश जोशी व उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी ने विधायकों से समन्वय कर रविवार को धारीवाल के यहां पहुंचने को कहा और उन्होंने सुनिश्चित किया कि धारीवाल के आवास पर विधायकों की संख्या अधिकतम हो।
राजेंद्र गुढ़ा: बसपा से कांग्रेस में शामिल 6 विधायकों में से एक गुढा गहलोत सरकार में राज्यमंत्री भी हैं। उन्हें पहले गहलोत खेमे का माना जा रहा था लेकिन जैसे ही गहलोत ने घोषणा की कि वे पार्टी अध्यक्ष का चुनाव लड़ेंगे, उन्होंने पक्ष बदलने के संकेत दिए। उन्होंने कहा कि वे और अन्य 5 विधायक मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी आलाकमान का फैसले का समर्थन करेंगे। अगले दिन उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री बदलना है तो सचिन पायलट से बेहतर कोई दूसरा चेहरा नहीं है। रविवार को वे विधायक दल की बैठक में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री आवास पर मौजूद थे जबकि गहलोत के समर्थक धारीवाल के यहां मौजूद थे।
बाबूलाल नागर: निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर 2020 में राजनीतिक संकट के समय गहलोत के साथ थे लेकिन उन्होंने भी सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट की तारीफ करते हुए पायलट के पक्ष में संकेत दिए। हालांकि रविवार को वह धारीवाल के आवास पर मौजूद थे।
सुभाष गर्ग: गहलोत सरकार में राज्य मंत्री गर्ग राज्य के एकमात्र रालोद विधायक हैं। वे गहलोत के वफादार हैं और रविवार को योजना बनाने में शामिल प्रमुख नेताओं में से एक थे।
धर्मेंद्र राठौड़: राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ गहलोत के करीबी हैं। उन्होंने विधायकों और अन्य नेताओं के साथ कल रविवार को समन्वय करने और रणनीति को क्रियान्वित करने में अहम भूमिका निभाई।