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DRDO का बड़ा बयान, अंतरिक्ष में मलबे के खतरे को टालने के लिए भारत ने चुनी निचली कक्षा

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नई दिल्ली , रविवार, 7 अप्रैल 2019 (07:29 IST)
नई दिल्ली। डीआरडीओ के प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने शनिवार को कहा कि सेटेलाईट विरोधी मिसाइल के सफल परीक्षण के साथ ही भारत अंतरिक्ष में 1000 किलोमीटर के दायरे में लक्ष्य को भेदने में समर्थ है और वैश्विक अंतरिक्षीय संपत्तियों को मलबे के खतरे से बचाने के लिए इस मिशन निचली कक्षा का चयन किया गया।
 
जब उनसे पूछा गया कि क्या एक साथ कई सेटेलाइटों को नष्ट किया जा सकता है तो उन्होंने कहा, 'प्रश्न यहां यह उठता है कि हमारे पास कितने लांचर हैं और कई लांचर होने पर विभिन्न सेटेलाइटों को निशाना बनाया जा सकता है। लेकिन, विविध (लक्ष्य) अवश्य ही व्यावहारिक हैं।' 
 
भारत ने 27 मार्च को सेटेलाइट विरोधी मिसाइल से अंतरिक्ष में अपने एक मिसाइल को नष्ट कर दिया था और इस जटिल क्षमता का प्रदर्शन किया था। इसी के साथ वह अमेरिका, रूस और चीन के शीर्ष क्लब में शामिल हो गया था।
 
रेड्डी ने यहां डीआरडीओ भवन में संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'ए सैट का सफल परीक्षण किया गया और धरती की निचली कक्षा में इंटरसेप्टर मिसाइल ने एक घूमते सेटेलाइट को मार गिराया। इस इंटरसेप्टर में 1,000 किलोमीटर के दायरे वाली कक्षा में उपग्रहों को नष्ट करने की क्षमता है जिसमें ज्यादरत निचली कक्षा के उपग्रह आते हैं।'
 
रेड्डी ने कहा कि क्षमता प्रदर्शन के लिए परीक्षण हेतु करीब 300 किलोमीटर की कक्षा चुनी और इसका मकसद वैश्विक अंतिरक्षीय संपत्तियों को मलबे से खतरा पहुंचाने से रोकना है। उन्होंने कहा कि परीक्षण के बाद पैदा हुआ मलबा कुछ हफ्तों में नष्ट हो जाएगा। मंगलवार को नासा ने उसके एक उपग्रह को भारत की तरफ से मार गिराए जाने को भयावह बताया और कहा कि इस मिशन के चलते अंतरिक्ष में मलबे के 400 टुकड़े बिखर गए। (भाषा) 

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