देश की राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर एक बार फिर किसान आ डटे है। इस बार उत्तर प्रदेश के किसानों ने दिल्ली कूच का एलान किया था। हलांकि सोमवार को किसानों की अफसरों के साथ बातचीत के बाद एक हफ्ते तक दिल्ली मार्च नहीं करने पर सहमति बन गई है, लेकिन किसान अभी वापस नहीं लौटे है और वहीं डटे है। दूसरी और जाब और हरियाणा के सीमा क्षेत्र पर शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसान भी 6 दिसंबर को दिल्ली कूच करने की तैयारी में है।
क्या है नोएडा के किसानों की मागं?-उत्तर प्रदेश के नोएडा के किसान चार सूत्रीय मांगों को लेकर दिल्ली की सीमा पर आ डटे है। किसानों की मांग है कि उनको नोएडा में जमीन अधिग्रहण पर पूरे राज्य की तरह की दाम का 4 गुना मुआवजा दिया जाए। इसके साथ भूमि अधिग्रहण के बदले 10% प्लॉट दिया जाए। तीसरी मांग भूमि अधिग्रहण के के बदले किसानों 64.7% की दर से मुआवजा मिले। चौथी मांग भूमिधर, भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्वास के सभी फायदे दिए जाएं। दरअसल नोएडा के किसानों की मुख्य मांग गोरखपुर जैसे चार गुना मुआवजे, भूमि अधिग्रहण कानून के लाभ और 10% विकसित भूखंड जैसी मांगों को लागू करवाना शामिल है।
नोएडा के किसानों ने क्यों किया दिल्ली कूच?-भूमि अधिग्रहण के विरोध नोएडा के किसान पहले ही यमुना प्राधिकरण कार्यालय के सामने धरने पर बैठे थे, लेकिन प्राधिकरण ने किसानों की मांगों को अनसुना कर दिया गया। किसानों के साथ पुलिस, जिलाधिकारी, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, नोएडा प्राधिकरण और यमुना प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में किसानों की कई महत्वपूर्ण मांगें रखी गईं, हालांकि, अधिकारियों ने किसानों की मांगों को मानने से इनकार कर दिया, जिसके बाद किसानों का गुस्सा और बढ़ गया। किसान नेताओं ने कहा कि अगर उनकी मांगों को नहीं माना गया तो दिल्ली कूच करेंगे और उनका आंदोलन और तेज हो सकता है, इसके बाद सोमवार को इसके किसान अपनी मांगों को लेकर संसद कूच के एलान के साथ निकल पड़े।
पंजाब और हरियाणा के किसानों ने भी की दिल्ली कूच की तैयारी-एक तरफ नोएड के किसान दिल्ली सीमा पर डटे है तो दूसरी ओर पंजाब और हरियाणा के किसानों ने भी दिल्ली कूच की तैयारी में है। 13 फरवरी से शंभू बॉर्डर पर बैठे किसान सभी फसलों पर एमएसपी दिए जाने की मांग को लेकर 6 दिसंबर को दिल्ली के लिए पैदल मार्च करने का एलान कर दिया। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों का दिल्ली कूच 6 दिसंबर से सुबह 9 से लेकर 5 बजे तक उनका दिल्ली के लिए रोजाना मार्च जारी रहेगा। किसान संगठनों ने एलान किया है कि अगर उनको दिल्ली जाने से रोका गया तो वह वहीं धरने पर बैठ जाएंगे।
किसान आंदोलन के फिर गर्माने के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मोदी सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए पूरी तर संकल्पित है। सरकार सोयाबीन की फसल को भी समर्थन मूल्य पर खरीद रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि मंत्रालय 6 सूत्रीय कार्ययोजना पर काम कर रहा है।