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असदुद्दीन ओवैसी और किरेन रिजिजू के बीच नोकझोंक : क्या हुआ, किसने क्या कहा?

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हमें फॉलो करें Clash between Owaisi and Rijiju

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, मंगलवार, 8 जुलाई 2025 (13:38 IST)
Clash between Owaisi and Rijiju on Social Media: हाल ही में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और केंद्रीय संसदीय कार्य व अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू के बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर तीखी बहस देखने को मिली। यह नोकझोंक अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सरकारी नीतियों को लेकर शुरू हुई। आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।
 
कैसे हुई नोकझोंक की शुरुआत? : केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने एक बयान में कहा था कि भारत दुनिया का एकमात्र देश है, जहां अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यक समुदाय से अधिक लाभ और सुरक्षा मिलती है। इस बयान पर असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने रिजिजू के दावे को खारिज करते हुए कहा कि अल्पसंख्यकों के अधिकार कोई दान नहीं, बल्कि भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार हैं।
 
ओवैसी ने क्या कहा? : ओवैसी ने X पर अपनी पोस्ट में रिजिजू को जवाब देते हुए लिखा, @KirenRijiju आप भारतीय गणराज्य के मंत्री हैं, कोई सम्राट नहीं। आप एक संवैधानिक पद पर हैं, किसी सिंहासन पर नहीं। अल्पसंख्यक अधिकार मौलिक अधिकार हैं, कोई दान नहीं। 
 
सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए : वक्फ (संशोधन) अधिनियम : ओवैसी ने वक्फ संशोधन विधेयक की आलोचना की, जिसमें गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने का प्रावधान है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हिंदू बंदोबस्ती बोर्ड (Hindu Endowment Boards) में मुस्लिम सदस्य हो सकते हैं? उन्होंने इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन बताया।
 
शिक्षा और छात्रवृत्ति : ओवैसी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने मुस्लिम छात्रों को लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं जैसे मौलाना आजाद राष्ट्रीय फेलोशिप को बंद कर दिया, प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति की फंडिंग रोकी और पोस्ट-मैट्रिक व मेरिट-कम-मीन्स छात्रवृत्ति को सीमित कर दिया।
 
आर्थिक और सामाजिक असमानता : ओवैसी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय उच्च शिक्षा में भागीदारी के मामले में पिछड़ रहा है और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में उनकी उपस्थिति बढ़ रही है। उन्होंने दावा किया कि मुस्लिम बहुल इलाकों में सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और सेवाओं की कमी है।
 
संवैधानिक अधिकारों की मांग : ओवैसी ने स्पष्ट किया कि वे न तो बहुसंख्यकों से अधिक मांग रहे हैं और न ही अन्य देशों के अल्पसंख्यकों से तुलना कर रहे हैं। वे केवल वही मांग रहे हैं, जो भारतीय संविधान में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के रूप में वादा किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत के अल्पसंख्यक अब दूसरे दर्जे के नागरिक भी नहीं हैं। हम बंधक हैं।
 
किरेन रिजिजू का जवाब : रिजिजू ने ओवैसी के आरोपों का जवाब देते हुए X पर लिखा- हमारे पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक भारत आना क्यों पसंद करते हैं और हमारे अल्पसंख्यक पलायन क्यों नहीं करते? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की कल्याणकारी योजनाएं सभी के लिए हैं। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की योजनाएं अल्पसंख्यकों को अतिरिक्त लाभ प्रदान करती हैं। रिजिजू ने यह दावा करके अपनी बात को मजबूत करने की कोशिश की कि भारत में अल्पसंख्यकों को विशेष लाभ मिलता है और पड़ोसी देशों की तुलना में भारत में उनकी स्थिति बेहतर है।
 
ओवैसी का पलटवार : रिजिजू के जवाब पर ओवैसी ने और भी तीखा हमला बोला। उन्होंने लिखा- अगर हम पलायन नहीं करते, तो इसका मतलब यह नहीं कि हम खुश हैं। असल में, हमें भागने की आदत नहीं है। हम अंग्रेजों से नहीं भागे, बंटवारे के दौरान नहीं भागे और जम्मू, नेल्ली, गुजरात, मुरादाबाद, दिल्ली आदि के नरसंहारों की वजह से भी नहीं भागे। हमारा इतिहास इस बात का सबूत है कि हम न तो अपने उत्पीड़कों के साथ सहयोग करते हैं और न ही उनसे छिपते हैं।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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