जम्मू। कोरोनावायरस के कारण 2 सालों तक स्थगित रहने के बाद इस बार की अमरनाथ यात्रा में करीब 10 लाख लोगों को न्यौता दिया गया है। इस बार यह यात्रा 43 दिनों तक चलेगी जबकि 2019 में यह 46 दिनों तक चली थी जबकि वर्ष 2018 में 46 दिन। इस बार भी 30 जून को आरंभ होने वाली अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वाले का तंदरूस्त होना जरूरी होगा। अर्थात बिना मेडिकल फिटनेस और मेडिकल सर्टिफिकेट के कोई भी इसमें शामिल नहीं होगा। इस बार दोनों रास्तों पर यात्रियों की संख्या पर फिलहाल कोई बंदिश लागू नहीं की गई है।
अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले कई श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण हर साल मौत के बढ़ते मामलों को देखते हुए यात्रा का प्रबंधन करने वाले श्राइन बोर्ड ने फैसला किया है कि यात्रा के लिए पंजीकरण कराने के समय श्रद्धालुओं को चिकित्सा प्रमाण-पत्र दिखाना होगा। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि आज अमरनाथ श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) की एक उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया।
इस बैठक की अध्यक्षता उपराजयपाल मनोज सिन्हा ने की। बैठक में हृदयाघात से मरने वाले श्रद्धालुओं के संबंध में चर्चा की गई। प्रवक्ता ने कहा कि बोर्ड ने हृदय संबंधी समस्याओं के कारण मारे जाने वाले श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या पर चर्चा की। बोर्ड ने तय किया कि यात्रा के लिए पंजीकरण कराने के समय श्रद्धालुओं को किसी पंजीकृत चिकित्सक द्वारा जारी चिकित्सा प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होगा।
देशभर के राज्यों/केंद्र शासित राज्यों में पंजाब नेशनल बैंक, जम्मू-कश्मीर बैंक और येस बैंक की नामित बैंक शाखाओं में यात्री पंजीकरण की सुविधा दी जा रही है। पंजीकरण 1 अप्रैल से आरंभ होगा जिसमें प्रतिदिन 20 हजार लोगों का पंजीकरण किया जाएगा।
बोर्ड की बैठक में यह निर्देश दिया गया है कि यात्रा के लिए श्रद्धालुओं का पंजीकरण वक्त से हो जाए इसलिए इसे इस बार 1 अप्रैल से ही आरंभ कर दिया जाएगा। यात्रा पर जाने वाले सभी पंजीकृत श्रद्धालुओं का अमरनाथ श्राइन बोर्ड की ओर से दुर्घटना बीमा नि:शुल्क किया जाएगा। यह फैसला श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की बैठक में किया गया। बर्फबारी थमते ही सुरक्षाबलों व प्रशासन से सुरक्षा प्रबंध शुरू करने के लिए कहा जाएगा। जानकारी के लिए वर्ष 2012 की यात्रा के दौरान 128 श्रद्धालुओं की मौत हुई थी।
इस बार यात्रा पर जाने के इच्छुक श्रद्धालुओं का पहले मेडिकल फिटनेस टेस्ट होगा और उसके बाद हर पंजीकृत श्रद्धालु का बोर्ड की ओर से निःशुल्क बीमा किया जाएगा। यात्रा कैंपों के लिए मास्टर प्लान तैयार कर लिया गया है। बोर्ड ने यात्रा के दौरान लंगर की व्यवस्था को भी मंजूरी दे दी है।
यात्रा में 13 साल से कम और 75 साल से अधिक उम्र के लोगों को शामिल होने की अनुमति नहीं मिलेगी। इस बार अमरनाथ यात्रा के लिए अनुमानतः 10 लाख लोगों को न्योता दिया गया है। लेकिन साथ ही करंट पंजीकरण का विकल्प भी खुला रखा गया है।
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एसपीओ और उनके भाई की मौत
बडगाम जिले में हुए आतंकी हमले में एक स्पेशल पुलिस अफसर (एसपीओ) और उनके भाई की मौत हो गई। रविवार को दोनों की अंतिम विदाई के मौके पर हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। इस दौरान सभी की आंखों में पानी और चेहरे पर मायूसी थी। बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग दोनों भाइयों के आखिरी दीदार के लिए आए हुए थे। सभी ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी।
हमले में एसपीओ शहीद और उनका भाई गंभीर रूप से घायल हो गया था। रविवार सुबह उसकी भी मौत हो गई। हमले के बाद आतंकी फरार हो गए। पुलिस ने आतंकियों को पकड़ने के लिए छत्तबुग और उसके साथ सटे इलाकों में तलाशी अभियान चलाया जो देर रात गए तक जारी था।
हमले के लिए लश्कर-ए-तैयबा का हिट स्क्वाड कहे जाने वाले आतंकी संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट टीआरएफ को जिम्मेदार माना जा रहा है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने शहीद इशफाक अहमद को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि गंभीर रूप से घायल शहीद का भाई उमर जल्द स्वस्थ होकर घर लौटे, वह इसका कामना करते हैं। इस आतंकी हमले के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस के मुताबिक आतंकियों का इरादा पूरे परिवार को मौत के घाट उतारना था। आतंकियों ने अन्य दो भाइयों को घर पर न पाकर इश्फाक व उमर को अपने साथ चलने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने जब प्रतिरोध किया तो आतंकियों ने पर भी अंधाधुंध गोलियों की बौछार शुरू कर दी। इश्फाक और उमर दोनों ही जख्मी होकर जमीन पर गिर पड़े। उन्हें मरा समझ आतकी वहां से फरार हो गए।