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सावधान! आतंकियों के निशाने पर है 'अमरनाथ यात्रा'

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सुरेश एस डुग्गर

जम्मू कश्मीर में आगामी दो महीने सुरक्षाबलों के लिए काफी मुश्किलभरे होंगे क्योंकि उनके कंधों पर अमरनाथ यात्रियों और वैष्णोदेवी जाने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा का जिम्मा रहेगा। आतंकवादी तो इन्हें नुकसान पहुंचाने की धमकी भी दे चुके हैं। हजारों सीआरपीएफ जवानों को तैनात किया गया है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर डेढ़ लाख से अधिक सुरक्षाकर्मी अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा में जुटे हैं।  
 
अमरनाथ यात्रा समेत कई धार्मिक यात्राएं जुलाई और अगस्त के दौरान राज्य में संपन्न होती हैं। अधिकतर एक से 7 दिनों तक चलने वाली होती हैं मगर अमरनाथ यात्रा डेढ़ से दो महीने चलती है। मतलब दो महीनों तक राज्य प्रशासन की सांस गले में इसलिए भी अटकी रहती है क्योंकि आतंकवादी उसे नुकसान पहुंचाने का कोई अवसर खोना नहीं चाहते हैं।
 
छह दिन पहले अमरनाथ यात्रा का पहला आधिकारिक दर्शन संपन्न हो चुका है। सेना समेत अन्य सुरक्षाबलों ने सुरक्षा का जिम्मा संभाला है। हजारों सीआरपीएफ जवानों को भी तैनात किया गया है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर डेढ़ लाख से अधिक सुरक्षाकर्मी अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा में जुटे हैं, फिर भी यह चिंता का विषय इसलिए बनी हुई है, क्योंकि सूचनाएं और खबरें यही कह रही हैं कि आतंकी किसी भी कीमत पर इसे निशाना बनाना चाहते हैं।
 
सबसे अधिक खतरा 300 किमी लम्बे जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाइवे पर बारूदी सुरंगों का है। यात्रा से पूर्व हाईवे पर तैनात रोड ओपनिंग पार्टी (आरओपी) की संख्या कई गुना बढ़ा दी गई थी। आरओपी की 70 पार्टियों को हाईवे पर तैनात किया गया है और प्रत्येक पार्टी के दौ सैनिकों को 12 मीटर के हाईवे की सुरक्षा का जिम्मा दिया गया है। इन आरओपी को प्रशिक्षित डॉग स्‍क्‍वॉड से सुसज्जित किया गया है ताकि हाईवे पर लगाई गई किसी भी आईईडी का पता लगाया जा सके। इन डॉग स्‍क्‍वॉड के कुत्तों की खासियत है कि ये आईईडी मिलते ही बैठ जाते हैं, जिससे सुरक्षाबलों को उस स्थान की निशानदेही करने में आसानी होती है।
 
सुरक्षा के चाक-चौबंद प्रबंध पिछले कुछ दिनों से मिल रही आतंकी धमकियों के मद्देनजर किए गए हैं। जानकारी के अनुसार, सेना ने कुछ संदेश पकड़े हैं जिनमें वार्षिक अमरनाथ यात्रा व माता वैष्णोदेवी यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को निशाना बनाने की धमकी दी गई है। वार्षिक अमरनाथ यात्रा से पूर्व इस प्रकार की धमकियों को काफी गंभीरता से लिया जा रहा है। 
 
सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में एसओजी ने भी कुछ संदिग्ध लोगों को पकड़ा है जिनसे जम्मू में आतंकी हमलों की सूचना मिली है। इस प्रकार की सभी जानकारियों को विभिन्न सुरक्षा एजेंसियां साझा कर रही हैं और सुरक्षा का मुख्‍य जिम्मा सेना को सौंपा गया है। पहलगाम से गुफा और बालटाल से गुफा तक के रास्तों पर आतंकी हमलों से बचाव का जिम्मा सही मायनों में भगवान भरोसे इसलिए है, क्योंकि इन पहाड़ों में सुरक्षा व्यवस्था के दावे हमेशा झूठे पड़ते नजर आए हैं।
 
अब राजमार्ग पर सेना, यात्रा मार्ग पर उसका साथ अन्य सुरक्षाबल दे रहे हैं तो जम्मू के बेस कैम्प में सभी सुरक्षाबलों को एकसाथ तैनात किया गया है। अधिकारी आप मानते हैं कि जम्मू के नए स्थाई बेस कैम्प में खतरा ज्यादा इसलिए है क्योंकि वहां से पाकिस्तान अधिक दूर नहीं है तो पुराना बेस कैम्प शहर के बीचोंबीच होने के कारण खतरे से जूझता रहा है। ऐसे में अमरनाथ यात्रा कितनी सुरक्षित साबित होगी अंदाजा लगाना कठिन नहीं है।

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