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15-20 साल तक किसी का नंबर नहीं लगने वाला है, जो करना है हमें ही करना है, राज्यसभा में ऐसा क्यों बोले अमित शाह

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , मंगलवार, 25 मार्च 2025 (22:44 IST)
आपदा प्रबंधन में आर्थिक सहायता देने में कुछ राज्यों के साथ भेदभाव के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में दावा किया कि पिछले 10 साल में भारत आपदा प्रबंधन के मामले में राष्ट्रीय ही नहीं क्षेत्रीय एवं वैश्विक ताकत बनकर उभरा है तथा इसे दुनिया भी यह स्वीकार कर रही है। विपक्षी सदस्यों को लगता है कि हम (सत्ता में) आएंगे तो बदलेंगे, तो बहुत देर है। 15-20 साल तक किसी का नंबर नहीं लगने वाला। जो कुछ करना है, हमें करना है, लंबे समय तक।
 
उच्च सदन में शाह ने आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इसमें सत्ता के केंद्रीयकरण का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है। आपदा प्रबंधन के बारे में इस विधेयक में न केवल प्रतिक्रियात्मक रवैया अपनाने बल्कि पहले से तैयारी करने, अभिनव प्रयासों वाले और सभी की भागीदारी वाले रवैए को अपनाने पर जोर दिया गया है।
 
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आपदा के जोखिमों को घटाने के लिए विश्व के समक्ष जो 10 सूत्री एजेंडा रखा है, उसे 40 देशों ने अपना लिया है और उसका पालन कर रहे हैं। विधयक में न केवल राज्य सरकारों बल्कि आम लोगों की भागीदारी का प्रावधान किया गया है।
 
शाह ने कहा कि पिछले 10 सालों में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में जो परिवर्तन आया है, हम राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ क्षेत्रीय एवं वैश्विक ताकत बनकर उभरे हैं, यह पूरी दुनिया स्वीकार करती है। भारत की सफलता गाथा को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए यह विधेयक लाया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह सफलता गाथा सरकार की नहीं पूरे देश की है।
 
शाह ने कहा कि आपदा प्रबंधन की लड़ाई संस्थाओं को अधिकार संपन्न बनाने के साथ-साथ जवाबदेह बनाए बिना नहीं लड़ी जा सकती है। विधेयक में इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है। आपदा का सीधा रिश्ता जलवायु परिवर्तन से है। आपदा रोकने के लिए आवश्यक है कि जलवायु परिवर्तन पर नजर रखी जाए और ग्लोबल वॉर्मिंग को रोका जाए। उन्होंने वेदों का जिक्र किया और कहा कि इसमें न केवल पृथ्वी बल्कि अंतरिक्ष तक को बचाने की बात कही गई है।
 
गृहमंत्री ने सृष्टि को बचाने के लिए भारत द्वारा प्राचीन समय से किए जा रहे उपायों का जिक्र करते हुए हड़प्पा सभ्यता का भी उल्लेख किया। सदस्यों ने सत्ता के केंद्रीयकरण को लेकर चिंता व्यक्त की है किंतु यदि विधेयक को ध्यान से देखा जाए तो क्रियान्वयन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी जिला आपदा प्रबंधन की है, जो राज्य सरकार के तहत आता है। शाह ने कहा कि विधेयक में कहीं भी संघीय ढांचे को नुकसान करने की संभावना ही नहीं है।
 
चर्चा में कई विपक्षी सदस्यों ने आपदा सहायता के मामले में केंद्र सरकार पर गैर-भाजपा शासित राज्यों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया था। इसी का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि वित्त आयोग ने आपदा सहायता के लिए एक वैज्ञानिक व्यवस्था की है। इससे एक भी कानी पाई कम किसी भी राज्य को नरेन्द्र मोदी सरकार ने नहीं दी है बल्कि हमने ज्यादा दिया है।
 
विधेयक पर संशोधन लाए जाने की जरूरत को स्पष्ट करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि यदि किसी इमारत की समय-समय पर मरम्मत न हो तो वह खराब हो जाती है। यदि हम समय की जरूरत के अनुसार कानून में बदलाव करें तो क्या आपत्ति है? शायद उनको (विपक्षी सदस्यों को) लगता है कि हम (सत्ता में) आएंगे तो बदलेंगे, तो बहुत देर है। 15-20 साल तक किसी का नंबर नहीं लगने वाला। जो कुछ करना है, हमें करना है, लंबे समय तक।
 
शाह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण आपदाओं का आकार और स्तर दोनों बदला है तो इससे निबटने के तरीके और व्यवस्था भी बदलनी पड़ेगी और संस्थाओं की जवाबदेही तय करनी पड़ेगी एवं शक्तियां देनी पड़ेगी। केवल इसी उद्देश्य से ही यह विधेयक लाया गया है।
 
उन्होंने कहा कि इस विधेयक को लेकर विभिन्न पक्षों से बातचीत की गई और उनके 89 प्रतिशत सुझावों को मानकर इसे तैयार किया गया। आपदा प्रबंधन में दक्षता, सटीकता, क्षमता, तीव्रता को समाहित करने के लिए यह विधेयक बनाया गया है।
 
शाह ने आपदा प्रबंधन के लिए गुजरात सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन में शून्य हताहत के लक्ष्य को लेकर काम किए गए और इसमें सफलता भी मिली। विधेयक में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकार और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकारों को राष्ट्रीय कार्यकारी समिति तथा राज्य कार्यकारी समिति के बजाय राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर आपदा प्रबंधन योजना तैयार करने का अधिकार सुनिश्चित किया गया है।
 
इसमें राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर आपदा डेटाबेस बनाना भी प्रस्तावित है ताकि राज्यों की राजधानी और नगर निगम वाले बड़े शहरों के लिए 'शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकार' तथा राज्य सरकार द्वारा 'राज्य आपदा मोचन बल' बनाने का प्रावधान किया जा सके।(भाषा) Edited by: Sudhir Sharma

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