नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 12वीं की परीक्षा के मामले में सुनवाई करते हुए सभी राज्यों से 10 दिनों के अंदर एसाइमेंट प्लान मांगा है। वहीं सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश की सरकार से कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान 12वीं की परीक्षा के लिए छात्रों की जिंदगी ने ना खेलें। सुप्रीम कोर्ट ने आंध्रप्रदेश की सरकार से पूछा कि आपने अपने हलफनामे में कहा है कि आप जुलाई अंत में 12वीं की परीक्षा का अस्थायी आयोजन करेंगे, लेकिन क्या आप कोर्ट को बताएंगे कि आप ये सब मैनेज कैसे करेंगे। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने आंध्र प्रदेश सरकार के हलफनामे पर प्रतिक्रिया दी है।
आपके पास 34 हजार 634 परीक्षा हॉल है?
सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश से कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग और कोविड-19 नियमों का पालन करते हुए एक कक्षा में आप परीक्षा के लिए 15-20 छात्रों को बिठाने का इंतजाम कैसे करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको सोशल डिस्टेंसिंग के तहत छात्रों को बिठाने के लिए 34 हजार 634 कक्षा की जरूरत पड़ेगी, इसकी व्यवस्था आप कैसे करेंगे। क्या आपने कोई फॉर्मूला तैयार किया है। क्या आपके पास इतने कमरे हैं?
अगर नतीजों में देरी हुई तो...
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी पूछा कि अगर आप जुलाई के अंत तक 12वीं की परीक्षा करा भी लेते हैं कि तो नतीजे कब तक घोषित करेंगे। आपने अगर परीक्षा के नतीजे देने में देरी की तो देश और विदेशों के विश्वविद्यालय आपके लिए इंतजार करेंगे क्या? बेंच ने पूछा, 12वीं की परीक्षा के लिए राज्य के पास एक ठोस योजना होनी चाहिए। आप किसी भी कीमत पर छात्रों के जीवन के साथ नहीं खेल सकते हैं।