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कहीं आप नकली दवाई तो नहीं खा रहे? अब QR कोड से हो सकेगा खुलासा

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हमें फॉलो करें कहीं आप नकली दवाई तो नहीं खा रहे? अब QR कोड से हो सकेगा खुलासा
, सोमवार, 3 अक्टूबर 2022 (14:29 IST)
स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं में नकली दवाओं का कारोबार भी लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में कई गंभीर रोग के मरीज दवाओं के भरोसे होते हैं, लेकिन उन्‍हें पता ही नहीं होता है कि इलाज के लिए जो मेडिसिन वे ले रहे हैं, वो नकली भी हो सकती है। कोरोना काल में नकली दवाओं का बाजार भी काफ गर्म था। कई लोगों ने इसका फायदा उठाया था। लेकिन अब सरकार ने नकली और घटिया दवाओं के इस्‍तेमाल पर नकेल कसने के लिए 'ट्रैक एंड ट्रेस' सिस्टम की शुरुआत की है। व्‍यवस्‍था से यह पता चल सकेगा कि दवाइयां असली हैं या नकली। या कहीं ये दवाएं आपके लिए नुकसानदेह तो नहीं।

इस व्‍यवस्‍था के पहले  चरण में दवा कंपनियां सबसे ज्‍यादा बिकने वाली 300 दवाओं की प्राथमिक उत्पाद पैकेजिंग लेबल पर बारकोड या क्यूआर (quick response-QR) कोड प्रिंट करेंगी। प्राथमिक उत्पाद पैकेजिंग में बोतल, कैन, जार या ट्यूब शामिल हैं, जिसमें बिक्री के लिए दवाएं होती हैं। 

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक इसमें 100 रुपए प्रति स्ट्रिप से अधिक की एमआरपी वाली बड़ी संख्या में बिकने वाली एंटीबायोटिक्स, कार्डिएक, दर्द निवारक गोलियां और एंटी-एलर्जी दवाओं के शामिल होने की उम्मीद है। इस तरह की योजना या व्‍यवस्‍था की के बारे में करीब एक दशक पहले विचार किया गया था। लेकिन यह अब जाकर साकार होने जा रहा है।

इसके लिए सिर्फ क्‍यूआर कोड को स्‍कैन कर दवाओं के असली या नकली होने के बारे में पता लगाया जा सकेगा। सभी कंपनियों को दवाओं के रैपर पर क्‍यूआर कोड चिपकाने के लिए कहा गया है।

बता दें कि भारत में नकली दवाओं का कारोबार चलता है। चूंकि भारत मेडिकल सेवाओं में बेहद उन्‍नत है ऐसे में असली के साथ ही नकली या कम गुणवत्‍ता वाली दवाओं को बाजार में उतारकर उसे खपाने के लिए भी एक पूरा नेटवर्क काम करता है। ऐसे में क्‍यूआर कोड की यह व्‍यवस्‍था बहुत हद तक इस गोरखधंधे पर लगाम लगा सकेगी।
Edited: By Navin Rangiyal

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