जम्मू। चीनी सैनिकों की नापाक हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए लद्दाख सेक्टर में तैयार बैठी सेना का हौसला बढ़ाने के लिए थलसेना अध्यक्ष जनरल एमएम नरवने आज लद्दाख पहुंचे। वे आज सुबह 2 दिनों के दौरे के लिए लेह पहुंचे। सेनाध्यक्ष ने पैगांग झील के करीब चीन सेना की घुसपैठ को नाकाम बनाने के बाद एलएसी पर पैदा हुए माहौल का जायजा लिया।
उन्होंने सेना की उत्तरी कमान के आर्मी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी, लद्दाख की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली सेना की 14वीं कोर के कोर कमांडर व अन्य फील्ड कमांडरों से सेना की ऑपरेशनल तैयारियों की भी जानकारी ली।
दरअसल यह खबरें आ रही हैं कि बुलंद हौसले के साथ चीन के सामने खड़ी भारतीय सेना ने पैगांग झील के निकट रणनीतिक रूप से अहम ब्लैक टाप चोटी पर कब्जा कर लिया है। फिलहाल इसके प्रति सेना ने कोई आधिकारिक वक्तव्य जारी नहीं किया है, न ही पुष्टि की है और न ही खंडन।
जानकारी के लिए जून महीने से अब तक सेनाध्यक्ष 4 बार लद्दाख का दौरा कर चुके हैं। उनके साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी पूर्वी लद्दाख में चीन को स्पष्ट संकेत दिया है कि अब पहले से कई गुणा मजबूत हो गई भारतीय सेना देश की एक इंच जमीन पर भी दुश्मन को कब्जा नहीं करने देगी।
ऐसे हालात में सेनाध्यक्ष अग्रिम इलाकों का दौरा कर वहां तैनात सेना के जवानों से बातचीत भी कर रहे हैं। उन्होंने अग्रिम इलाकों की मौजूदा चुनौतियों व उनका सामना करने के लिए उठाए जा रहे कदमों का निरीक्षण भी किया। मौजूदा हालात में सेनाध्यक्ष का दौरा चीन को भी कड़ा संकेत है कि क्षेत्र में उसकी साजिशों को अब कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।
दरअसल सेना के अनुसार, पैंगांग झील के दक्षिणी तट पर चीन की नापाक हरकत को भारत के मुस्तैद जवानों ने असफल कर दिया। उस इलाके के सभी स्ट्रैटीजिक पॉइंट्स पर अपनी पैठ मजबूत कर ली है। अब अगर चीन ने जरा भी आगे बढ़ने की कोशिश की तो उसे बेहद मुश्किल चुनौती से निपटना होगा।
भारत ने स्पेशल फोर्सेज को भी मैदान में उतार दिया है। 29-30 अगस्त वाली घटना में स्पेशल फ्रंटियर फोर्स के शामिल होने की बात सामने आ रही है। सेना ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगे सभी क्षेत्रों में समग्र निगरानी तंत्र को और मजबूत किया है।
चीनी सैनिक पैंगांग झील के दक्षिणी तट की ओर बढ़ रहे थे। उनका मकसद उस जगह पर अतिक्रमण करना था लेकिन भारतीय सेना ने प्रयास को नाकाम करने के लिए एक महत्वपूर्ण तैनाती कर दी। भारतीय वायुसेना से भी कहा गया है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों में चीन की वायु गतिविधियां बढ़ने के मद्देनजर अपनी निगरानी बढ़ाए।