नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि नोटबंदी लागू करने तथा डिजिटल अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के पीछे सरकार का उद्देश्य बजट घाटे की भरपाई करना तथा नकदी वाली अर्थव्यवस्था के अभिशाप जैसे भ्रष्टाचार और कालाधन आदि को मिटाना है।
श्री जेटली ने यहां विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में 'लकी ग्राहक योजना' के तहत डिजिटल भुगतान कर इनाम जीतने वाले ग्राहकों के लिए ड्रॉ निकाले जाने के मौके पर यह बात कहीं। उन्होंने कहा कि देश का कुल वार्षिक बजट लगभग 20 लाख करोड़ रुपए का है जबकि सरकार की आमदनी 16 लाख करोड़ रुपए है। यानी हर साल चार लाख करोड़ रुपए उधार लेने पड़ते हैं। साल दर साल देश की अगली पीढ़ी के सिर पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है।
श्री जेटली ने कहा कि नकदी का प्रयोग कम करने तथा डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने का सरकार का यह प्रयास आम हिंदुस्तानी की समझ में तो आ रहा है, लेकिन कुछ ऐसे हैं जिनको समझ आने में समय लगता है।
उन्होंने कहा कि लोगों ने नकदी के रूप में जो पैसा जमा कर रखा था वह अब बैंकिंग तंत्र में आ चुका है। इससे बैंकों के ऋण देने की क्षमता बढ़ी है। जो (पैसा) अर्थव्यवस्था का अंग बन जाता है वह कराधान का अंग भी बन जाता है। लंबे अर्से में इसके परिणाम स्वरूप अब तक चल रही समानांतर अर्थव्यवस्था - जिसका कोई गणित नहीं था, जिसकी कोई जवाबदेही नहीं थी, जिससे कोई कर नहीं मिलता था - अब मुख्य अर्थव्यवस्था का हिस्सा बन चुकी है।
वित्त मंत्री ने कहा कि लोगों ने डिजिटल भुगतान शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि शुरुआत में कुछ तकलीफ उठानी पड़ेगी। धीरे-धीरे आरबीआई नए नोट जारी कर रहा है। उन्होंने कहा, 'आने वाले समय में हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, साफ होगी तथा देश भ्रष्टाचार मुक्त होगा।'(वार्ता)