नई दिल्ली। दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को 'लाभ का पद' धारण करने के कारण अयोग्य घोषित किए जाने की सिफारिश चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति भवन भेज दी है। आप के 70 विधायक है जिसनमें से 20 की सदस्यता यदि रद्द हो जाती है तो भी बहुमत बरकरार रहेगा, लेकिन इस मामले से अरविंद केजरीवाल की साख पर जरूर बट्टा लग गया है जिसके चलते आगामी चुनाव में उन्हें नुकसान उठाना होगा।
हालांकि अभी नजरें इस बात पर हैं कि राष्ट्रपति चुनाव आयोग की सिफारिश पर कब मुहर लगाते हैं। उल्लेखनीय है कि संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक राष्ट्रपति आयोग की अनुशंसा मानने को बाध्य हैं। विधायकों या सांसदों को अयोग्य घोषित करने की मांग वाली याचिकाओं पर अंतिम फैसला लेने से पहले राष्ट्रपति चुनाव आयोग की राय लेते हैं। चुनाव आयोग की राय के मुताबिक ही राष्ट्रपति इन याचिकाओं पर फैसला करते हैं। ये भी देखने वाली बात है कि क्या राष्ट्रपति आप विधायकों की जो याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई के लिए लंबित है उस पर सुनवाई के बाद फैसला लेंगे या फिर उससे पहले।
राष्ट्रपति जब चुनाव आयोग की सिफारिश स्वीकार कर लेंगे तो 20 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराने होंगे। हालांकि इस बीच यह साफ कर देना जरूरी है कि शुक्रवार को आप के विधायकों की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उनकी उस मांग को मानने से इंकार कर दिया था, जिसमें विधायकों ने चुनाव आयोग के किसी भी फैसले या सुझाव पर रोक लगाने की मांग की थी।
हालांकि इस बीच कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील से जरूर जानना चाहा है कि क्या चुनाव आयोग ने आप विधायकों के मामले में कोई सलाह राष्ट्रपति को भेजी है। चुनाव आयोग के वकील को सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट को यह बताना होगा। इससे पहले शुक्रवार को चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी गई अनुशंसा में आयोग ने कहा है कि 13 मार्च 2015 को संसदीय सचिव बनाए गए आप के 20 विधायक 08 सितंबर 2016 तक लाभ के पद पर रहे। इसलिए दिल्ली विधानसभा के विधायक के तौर पर ये अयोग्य घोषित होने योग्य हैं। (एजेंसी)