विश्व हिंदू परिषद के अतंरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया द्वारा भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार पर लगाए गए आरोपों के बाद अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। स्वामी चिन्मयानंद ने साफ तौर पर कह दिया है कि प्रवीण तोगड़िया का वीएचपी से अब कोई लेना देना नहीं है, लेकिन तोगड़िया ने 14 जनवरी को मुंबई में हुए अमृत महोत्सव समिति की ओर से आयोजित कार्यक्रम का एक निमंत्रण पत्र मीडिया में भेजकर ये बताना चाहा की वो अभी भी विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष हैं।
14 जनवरी को मुंबई में अमृत महोत्सव समिति की ओर से आयोजित कार्यक्रम का एक निमंत्रण पत्र मीडिया को भेजा है। इसमें विशिष्ट अतिथि के रूप में तोगड़िया को विहिप का अंतराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष बताया गया है। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक साध्वी ऋतंभरा, आरएसएस के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी भी कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
हालांकि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तोगड़िया को उनके पद से हटाने की योजना बना रहा है। तोगड़िया के अलावा आरएसएस ने भारतीय मजदूर संघ के जनरल सेक्रेटरी विरजेश उपाध्याय और वीएचपी के अध्यक्ष राघव रेड्डी को उनके पद से मुक्त करने की योजना बनाई है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, सूत्रों का कहना है कि आरएसएस के पदाधिकारी यह देखकर खुश नहीं हैं कि ये तीन लोग अपना खुद का एजेंडा चलाते हुए सरकार को शर्मिंदा कर रहे हैं। इतना ही नहीं इन दोनों संगठन का संघ की विचारधारा के प्रचार के लिए उपयोग नहीं किया जा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, विश्व हिंदू परिषद की कार्यकारी बैठक फरवरी के अंत तक आयोजित की जाएगी, जहां पर आरएसएस परिषद के फिर से चुनाव करने को लेकर दवाब बनाएगा ताकि राघव रेड्डी को हटाकर नए अध्यक्ष का चुनाव किया जा सके। इसके साथ ही रेड्डी के तोगड़िया समेत अन्य समर्थकों को भी हटाने की पूरी योजना बनाई जा रही है। आरएसएस ने उन सभी लोगों को संघ से बाहर का रास्ता दिखाने का निर्णय लिया है, जो कि बीजेपी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सामने आए हैं।
संघ चाहता है कि उनके संगठन सरकार के साथ टकराव करने से बचें और अगर कोई मतभेद हैं तो उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जाए। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह 2019 के आम चुनाव हैं। आपको बता दें कि हाल ही में प्रवीण तोगड़िया ने आरोप लगाया था कि उन्हें पुलिस एंकाउंटर में मारने की योजना बनाई जा रही है। इससे पहले भी तोगड़िया और विरजेश उपाध्याय बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और पीएम मोदी को कई मुद्दों को लेकर उनके खिलाफ बोल चुके हैं। इसके अलावा उन अधिकारियों की भी जांच की जा रही है, जिन्होंने पाटीदार कोटा प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया था। (एजेंसी)