नई दिल्ली। नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा सोमवार को लोकसभा में पेश किए गए नागरिकता संशोधन विधेयक (citizenship amendment bill) का AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने विरोध करते हुए इसकी कॉपी फाड़ दी।
लोकसभा में बिल पर बोलते हुए ओवैसी ने कहा कि यह संशोधन विधेयक हिटलर के कानून से भी बदतर है। यह देश जोड़ने वाला नहीं बल्कि तोड़ने वाला है। इसके माध्यम से एक और बंटवारे की कोशिश की जा रही है।
ओवैसी ने कहा कि देश को दोबारा बांटने के लिए लाया गया है यह बिल। भाषण समाप्त होने के बाद ओवैसी ने बिल की कॉपी को सदन में ही फाड़ दिया। हालांकि उनकी इस हरकत को सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया है।
इससे पहले लोकसभा में बिल पेश करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि ‘नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019’ धर्म के आधार पर प्रताड़ित लोगों तथा वर्षों से नागरिक अधिकार से वंचित और नरक जैसा जीवन यापन कर रहे लोगों को सम्मान देने वाला है।
शाह ने सोमवार को लोकसभा में विधेयक पर चर्चा शुरू होने से पहले कहा कि विविधता हमारा मंत्र है और सहिष्णुता हमारा गुण है। इसी मंत्र और इसी गुण से प्रभावित होकर सरकार धार्मिक रूप से उत्पीड़ित लोगों को नागरिकता का अधिकार देने वाला विधेयक लेकर आई है। विधेयक के तहत 31 दिसंबर 2014 तक देश में आए धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर आए लोगों को यह विधेयक नागरिकता का अधिकार देता है।
उन्होंने सदन के सभी सदस्यों का आह्वान किया कि वे विधेयक के खिलाफ प्रचार करने की बजाय यह प्रचारित करें कि विधेयक में धार्मिक आधार पर पाकिस्तान, बंगलादेश तथा अफगानिस्तान में प्रताड़ित नागरिकों को यह विधेयक नागरिकता का अधिकार देता है और सुनिश्चित करता है कि जिस दिन से वे भारत में प्रवेश किए हैं उसी दिन से वह भारत का नागरिक हो गया है।