Malegaon blast verdict : मुंबई की एक विशेष अदालत ने 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सभी 7 आरोपियों को गुरुवार को बरी कर दिया। एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि 17 साल बाद सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया। महाराष्ट्र सरकार 2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई थी। अगर वे सुप्रीम कोर्ट नहीं जाते हैं तो क्या यह आतंकवाद पर पाखंड नहीं होगा?
उन्होंने कहा कि विस्फोट में सैन्य-ग्रेड आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था। यह कहां से आया? इन बम विस्फोटों के लिए कौन जिम्मेदार है? जिन्होंने वास्तव में इसे किया वे खुलेआम घूम रहे हैं। मेरा सवाल है कि क्या मोदी सरकार और महाराष्ट्र सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगी?
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एआईएमआईएम के नेता इम्तियाज जलील ने भी सवाल किया कि असली अपराधी कौन हैं? उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से फैसले को बंबई हाईकोर्ट में चुनौती देने की मांग की। उन्होंने 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में बंबई उच्च न्यायालय द्वारा हाल ही में सभी 12 व्यक्तियों को बरी किए जाने का भी उल्लेख किया। उन्होंने सवाल किया कि 7/11 बम धमाकों के आरोपी सालों तक जेलों में सड़ते रहे। उनके बरी होने के बाद, राज्य सरकार ने कहा कि फैसला स्वीकार्य नहीं है। अगर दोनों मामलों (मालेगांव और मुंबई ट्रेन बम विस्फोट) के आरोपी निर्दोष हैं, तो विस्फोटों की योजना बनाने के लिए कौन जिम्मेदार था?
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औरंगाबाद के पूर्व सांसद ने कहा कि यदि मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपियों को बरी किए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दी जाती है तो सुप्रीम कोर्ट स्वत: संज्ञान लेकर सरकार को निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अपील करने का निर्देश दे सकता है।
उन्होंने कहा कि आरोपियों को बरी करने के आदेश की बिना किसी धर्म या जातिगत पक्षपात के समीक्षा की जानी चाहिए। फैसला आने में 17 साल के लंबे इंतजार का जिक्र करते हुए जलील ने कहा कि ऐसे मामलों में फैसले जल्द सुनाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि एक दशक से ज़्यादा इंतजार के बाद भी, हमें अब नहीं पता कि धमाकों में किसका हाथ था।
edited by : Nrapendra Gupta