इंदौर। स्वच्छता में नंबर 1 इंदौर अब एशिया के सबसे बड़े बायो सीएनजी प्लांट स्थापित करने का खिताब भी अपने नाम करने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज इंदौर में निर्मित किए गए एशिया के सबसे बड़े बायो सीएनजी प्लांट का लोकार्पण करेंगे। यह लोकार्पण वर्चुअल करेंगे।
क्यों खास है सीएनजी प्लांट?
इंदौर में स्थापित किए जा रहे इस प्लांट की देशभर में चर्चा है, यह बेहद खास माना जा रहा है। इससे उत्पन्न गैस में मेथेन गैस 96 प्रतिशत प्योरिटी में पाई गई है। इससे ना केवल कैलोरीफिक वैल्यू अच्छी होगी, बल्कि बायो सीएनजी की इफेक्टिवनस भी बढ़ेगी।
वेबदुनिया की टीम से कलेक्टर मनीष सिंह और निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल ने विशेष चर्चा की। इस बारे में उन्होंने वेबदुनिया को प्लाट के बारे में विस्तार से बताया।
कलेक्टर मनीष सिंह के मुताबिक यह प्लांट पीपीपी मोड पर बना है, जिससे इंदौर नगर निगम को प्रतिवर्ष 2.5 करोड़ रुपए का रेवेन्यू प्राप्त होगा।
एक वक्त था जब गीला कचरा सभी के लिए परेशानी का सबब था, आज वही इंदौर के लिए एक उपलब्धि बन गया है। जिसके कारण आज बायो सीएनजी प्लांट के रूप में यह सौगात शहर को मिल रही है।
गीले वेस्ट से चलेगा सीएनजी प्लांट
इस प्लांट की सबसे खास बात यह है कि यह 100 प्रतिशत गीले कचरे से संचालित होगा। नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल ने कहा कि यह बायो सीएनजी प्लांट 100% गीले वेस्ट से चलेगा।
यह उपलब्धि इंदौर शहर के नागरिकों के अनुशासन और दृढ़ संकल्प के बगैर मुमकिन नहीं था। दूसरी सबसे अहम बात यह है कि जिस कंपनी द्वारा यह बायो सीएनजी प्लांट स्थापित किया जा रहा है, उसके सर्वे में यह खुलासा हुआ था कि इंदौर से मिलने वाले कचरे के सैंपल में 99 प्रतिशत से ज्यादा सेग्रीगेशन प्योरिटी पाई गई है, जो देश के अन्य किसी राज्य से लिए गए सैंपल में नहीं मिली है। इसलिए इंदौर में यह प्रोजेक्ट संभव हो सका।
क्या होगा फायदा?
यह प्लांट न सिर्फ इंदौर के लिए एक उपलब्धि है, बल्कि इससे कई फायदे होने वाले हैं। एक बायो सीएनजी प्लांट से उत्पन्न 18 हजार केजी गैस से प्रतिदिन 400 बसें संचालित हो सकेंगी, जिससे ना केवल पर्यावरण सुरक्षित और बेहतर हो सकेगा, बल्कि शहर की हवा की क्वालिटी में भी सुधार होगा।