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राजनीति की 'दो देवियों' की दास्तान...

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, गुरुवार, 19 मई 2016 (20:24 IST)
भारतीय संस्कृति में देवियों की पूजा सर्वविदित है, लेकिन यहां के लोग राजनीति में भी 'देवियों' को पूरा सम्मान देते हैं। ये देवियां और कोई नहीं पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी और तमिलनाडु की मुख्‍यमंत्री जयललिता हैं। इन दोनों ने ही साबित कर दिया कि चुनावी राजनीति में वे अच्छे-अच्छे सूरमाओं को आसमान दिखा सकती हैं। दोनों की एक विशेषता और भी है, वो यह कि दोनों ही अविवाहित हैं। 
ममता को हराने के लिए कांग्रेस और वामपंथी दलों ने पश्चिम बंगाल में पूरी घेराबंदी की थी, लेकिन दीदी को शिकस्त तो देना दूर, उन्होंने पिछली बार से अधिक सीटें (211) हासिल कर अपने तमाम विरोधियों के मुंह पर ताला जड़ दिया। जीत के बाद ममता ने अपने विरोधियों पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा 'खून बहाने की बात कहने वालों को जनता ने करारा जवाब दे दिया है।' ममता ने केन्द्र की मोदी सरकार को यह कहकर राहत देने की कोशिश की है कि वे वस्तु एवं सेवा कर विधेयक (जीएसटी बिल) का समर्थन करेंगी। 
 
ममता बनर्जी की तारीफ इसलिए भी की जाने चाहिए कि वे किसी राजनीतिक परिवार से भी नहीं आती। वे कांग्रेस से अलग हुईं और बंगाल की सत्ता में दशकों से जमी वामपंथियों को 2012 के चुनाव में उखाड़ फेंका। पश्चिम बंगाल की राजनीति में वामपंथियों को उखाड़ना कोई छोटा काम नहीं है। आज वाममोर्चा कुल सीटों के मामले में तीसरे स्थान पर खिसक गया है। खास बात तो यह है कि शारदा चिट फंड घोटाले में तृणमूल नेताओं का नाम आने के बाद भी बंगाल के लोगों ने ममता पर एक बार फिर भरोसा किया। इससे साबित होता है कि दीदी में दम तो है। 
 
तमिलनाडु में जयललिता यानी अम्मा ने लगातार दूसरी बार चुनाव जीतकर उस मिथक को तोड़ा है कि तमिलनाडु में हर बाद सत्ता बदल जाती है। एग्जिट पोल के परिणाम भी अम्मा के खिलाफ जा रहे थे, लेकिन उन्होंने इनको भी झुठला दिया। ममता के मुकाबले जयललिता की राह तुलनात्मक रूप से आसान थी। अभिनेत्री होने के कारण उनकी पहचान तो थी ही, स्वर्गीय एमजी रामचंद्रन की विरासत भी उनके ही हाथ लगी। 
 
ऐसा नहीं कि जया के दामन पर दाग न लगे हों। आय से अधिक संपत्ति के मामले समेत कुछ अन्य घोटालों में भी उनका नाम जुड़ा। आय से अधिक संपत्ति के मामले में तो उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। इसके चलते उन्हें मुख्‍यमंत्री पद भी कुछ समय के लिए गंवाना पड़ा था। लेकिन, निम्न वर्ग के लोगों के लिए अम्मा पानी, अम्मा किचन जैसी लोकलुभावन योजनाएं लोगों ने काफी पसंद की। इसी के चलते एक बार फिर उनकी सत्ता में वापसी हुई।...और हां, अगले वर्ष तीसरी देवी यानी मायावती ने भी सत्ता में आने के लिए कमर कस ली है।

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