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ज्योतिषाचार्य निर्मला सोनी बनीं दिव्य शक्ति अखाड़े की महामंडलेश्वर

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, सोमवार, 29 मई 2023 (21:36 IST)
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य श्रीमती निर्मला सोनी को दिव्य शक्ति अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कमल किशोर जी महाराज ने महामंडलेश्वर पद पर सुशोभित किया है। इस अवसर तीन अन्य व्यक्तियों को भी महामंडलेश्वर बनाया गया है। अखाड़े द्वारा अक्षय तृतीया के अवसर पर सभी धर्माचार्यों को महामंडलेश्वर पद पर सुशोभित किया गया। 
 
इस अवसर पर दिव्य शक्ति अखाड़े के महामंडलेश्वर कमल किशोर जी महाराज, मुख्‍य संरक्षक अवधूत बाबा निरंजननाथ, महामंडलेश्वर आचार्य रमेश सेमवाल, महामंडलेश्वर अरविन्द शास्त्री, महामंडलेश्वर सुरेन्द्र शर्मा समेत अन्य संत-महंतों की उपस्थिति धर्माचार्य श्रीमती निर्मला सोनी, बारां राजस्थान से कृष्ण मुरारी योगी, पंडित अनिल कोदंड श्याम सखा और पंडित विद्यासागर चूड़ामणि को आचार्य अमित शर्मा और आचार्य नीरज शर्मा द्वारा पूर्ण वैदिक पद्धति और मंत्रोच्चार के बीच महामंडलेश्वर पद पर सुशोभित किया गया। 
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आचार्य महामंडलेश्वर कमल किशोर जी महाराज द्वारा प्रदत्त प्रमाण पत्र में कहा कि आप भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के ध्वजवाहक हैं। धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु आपकी निस्वार्थ सेवाओं, सत्य निष्ठा एवं समाज के प्रति आपकी सेवाओं का अवलोकन करने के पश्चात आपको महामंडलेश्वर पद पर सुशोभित किया जाता है। 
 
कौन हैं निर्मला सोनी : ज्योतिषाचार्य निर्मला सोनी करीब 4 दशकों से ज्योतिष के क्षेत्र में सक्रिय हैं। हस्तरेखा एवं कुंडली विधा में पारंगत श्रीमती सोनी को विभिन्न ज्योतिष सम्मेलनों में सम्मानित किया जा चुका है। महामंडलेश्वर निर्मला जी का मानना है कि मुझे सम्मान से खुशी नहीं मिलती, जितनी कि लोगों की सेवा करने में मिलती है। हाथ देखने के बाद मुझे तब ज्यादा खुशी मिलती है, जब मेरे बताए हुए उपाय कारगर सिद्ध होते हैं और जातक को सफलता मिलती है। दरअसल, जातक की खुशी में ही मुझे असली खुशी मिलती है। 
 
वे कहती हैं कि सेवा भाव मेरे मन में है। मेरा घर-परिवार नाती-पोते, मेरे बच्चे सब पीछे छूट गए। अब मुझे ऐसा लगता था कि सारा संसार ही मेरा अपना परिवार बन गया है। अध्यात्म और सेवा के लिए मुझे बहुत कुछ त्यागना पड़ा, लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों के काम आती हूं, ज्योतिष और अध्यात्म के माध्यम से उनकी सेवा करती हूं।
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ज्योतिष के क्षेत्र में आगे बढ़ने का मुख्य कारण मुझ पर माता रानी की विशेष कृपा रही। इस विधा में आने का एक विशेष कारण मेरा बेटा रहा, जिसका कैंसर से असामयिक निधन हो गया। उस दौर में मैं ज्योतिष, तंत्र-मंत्र, हस्तरेखा वालों के पास में गई। बच्चे के इलाज के बारे में पूछती रही, लेकिन दुर्भाग्य से वह मुझसे हमेशा के लिए दूर हो गया। इसी दर्द ने मुझे लोगों की सेवा से जोड़ा। फिर मैंने इस विद्या को सीखा और मैं लोगों की भलाई में जुट गई। 
हालांकि बचपन से मेरी अध्यात्म में रुचि रही है। पिता मेरे सेना में थे। बचपन से ही मुझे नई-नई चीजों को गहराई से सीखने का शौक था। यही शौक धीरे-धीरे मेरा जुनून बन गया। यही मुझे हस्तरेखा ज्ञान की ओर ले गया। मैंने काफी किताबें पढ़ीं। इस दौरान मैंने लोगों से मिलकर समझा कि किसी को कष्ट क्यों है, क्यों कोई गरीब है या फिर किसी की शादी क्यों नहीं हुई?
 
अब मेरे जीवन का एकमात्र उद्देश्य लोगों की सेवा करना है साथ ही सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करना है। मुझे प्रसन्नता है दिव्य शक्ति अखाड़े ने मुझे महामंडलेश्वर के योग्य समझा। हालांकि यह अहम पद मिलने के बाद अब मेरे ऊपर पहले से ज्यादा जिम्मेदारी आ गई है।

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