नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बैंक ग्राहकों को उनके अपने बैंक के एटीएम से नि:शुल्क निकासी पर अधिकतम सीमा तय किए जाने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। न्यायालय ने कहा कि यह एक नीतिगत निर्णय है।
मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायमूर्ति वीके राव की पीठ ने गुरुवार को कहा कि बैंकों द्वारा दी जाने वाली एटीएम सुविधा में बहुत अधिक लागत आती है। इनमें सुरक्षाकर्मी का वेतन, बिजली का बिल इत्यादि शामिल है इसलिए असीमित नि:शुल्क एटीएम लेन-देन की सुविधा नहीं हो सकती है।
न्यायालय ने कहा कि बैंकों को एटीएम का रखरखाव करना होता है और लगाने में भी लागत आती है। न्यायालय ने कहा कि अगर मुद्दे में हस्तक्षेप के कारण बैंक एटीएम बंद कर देता है तो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण होगा।
भारतीय रिजर्व बैंक के नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक दिल्ली, मुंबई समेत 6 मेट्रो शहरों में ग्राहक अपने बैंक के एटीएम से सिर्फ 5 बार मुफ्त लेन-देन कर सकता है और इसके बाद उसे प्रति लेन-देन पर 20 रुपए का शुल्क देना होगा।
न्यायालय ने कहा कि 1 महीने में हर अतिरिक्त लेन-देन के लिए 20 रुपए का शुल्क ग्राहकों द्वारा उठाया जा सकता है और याचिका को खारिज कर दिया। (भाषा)