नई दिल्ली। सरकार के सर्वोच्च विधि अधिकारी एटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने 'जज प्रेस कांफ्रेंस विवाद' सुलझा लेने का सोमवार को दावा किया। वेणुगोपाल ने एक निजी टेलीविजन चैनल को बताया कि अदालती कामकाज शुरू होने से पहले एक अनौपचारिक बातचीत में यह विवाद सुलझा लिया गया है। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश हमेशा की तरह सोमवार सुबह एक बार फिर लाउंज में इकट्ठा हुए और साथ में चाय और कॉफी पी। लेकिन इस बार खास बात यह रही कि इस दौरान सारे कोर्ट स्टॉफ को बाहर भेज दिया गया।
चाय-कॉफी के बाद उच्चतम न्यायालय में कामकाज सामान्य दिनों की तरह शुरू हुआ। अंतर सिर्फ इतना रहा कि सोमवार को लगभग सभी बेंच में 10.30 बजे के बजाय 10 बजकर 40 मिनट से सुनवाई आरंभ हुई। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की बेंच जैसे ही बैठी, अधिवक्ता आरपी लूथरा ने गत शुक्रवार को 4 वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा किए गए संवाददाता सम्मेलन का मामला उठाया। उन्होंने न्यायमूर्ति मिश्रा से इन न्यायाधीशों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
हालांकि मुख्य न्यायधीश ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वे चुपचाप सुनते रहे। लूथरा वही वकील हैं जिनकी प्रकिया ज्ञापन (एमओपी) से संबंधित याचिका का जिक्र चारों न्यायाधीशों ने मुख्य न्यायाधीश को लिखी चिट्ठी में किया गया है। गौरतलब है कि गत शुक्रवार को न्यायमूर्ति जस्ती चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने मीडिया से बात करके शीर्ष अदालत के प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए थे।
न्यायाधीशों का यह संवाददाता सम्मेलन न्यायमूर्ति चेलमेश्वर के तुगलक रोड स्थित आवास पर हुआ था। उन्होंने कहा था कि प्रेस कांफ्रेंस को बुलाने का निर्णय हमें मजबूरी में लेना पड़ा है। देश का लोकतंत्र खतरे में है। सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक से काम नहीं कर रहा है। मामलों के आवंटन को लेकर मुख्य न्यायाधीश का रवैया ठीक नहीं है। आजाद भारत के इतिहास में पहली बार उच्चतम न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीशों ने इस तरह संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया था। (वार्ता)