फैजाबाद। इन दिनों अयोध्या में राम जन्मभूमि निर्माण का मुद्दा फिर से गरमा गया है। विगत दिनों अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि कार्यशाला में रास्थान से दो ट्रक पत्थरों की खेप पहुंची है, जहां 1990 से लगातार पत्थरों को तराशने का काम चल रहा है। इसके बाद से वहां हड़कंप मचा हुआ है और विश्व हिन्दू परिषद ने राम मंदिर निर्माण के लिए बयान देना शुरू कर दिया है।
विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने साफ तौर पर कहा कि जिस प्रकार से सोमनाथ मंदिर का निर्माण कानून बनाकर किया गया था ठीक उसी प्रकार से अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण संसद में कानून बनाकर किया जाएगा।
शर्मा ने कहा कि कोर्ट में वर्ष 1949 से मामला विचाराधीन है और हिन्दू समाज न्याय कि धुरी पर चक्कर काट रहा है, जिससे प्रतीक्षा की घड़ी कठिन होती जा रही है। कोर्ट ने 2010 में जो न्याय दिया वो आधा अधूरा था। इसलिए कानून बनाकर मंदिर निर्माण करना ही उचित मार्ग होगा। विहिप के इस बयान के बाद से ही बयानबाजी का सिलसिला तेज हो गया।
विहिप के बयान के बाद हनुमानगढ़ी के महंत महंत ज्ञानदास के कहा कि विहिप खत्म हो चुकी है। अपने को चर्चा में बनाए रखने के लिए ये सब कर रही है। उन्होंने कहा कि यदि प्रधानमंत्री इस मामले में कुछ बोलते हैं तो ही इसका कोई मतलब होगा। उन्होंने कहा कि सब कुछ हो सकता है, लेकिन इसके लिए प्रबल इच्छा शक्ति की आवश्यकता होनी चाहिए।
दूसरी ओर बाबरी मस्जिद के मुद्दई हाजी महबूब ने कहा कि विहिप की ये बेकार की बातें हैं। मामला कोर्ट में चल रहा है। हम तो कोर्ट के निर्णय को ही मानेंगे। भारत धर्मनिरपेक्ष देश है, यहां सभी का अधिकार है।
विहिप का मानना है कि केंद्र और उत्तरप्रदेश में भाजपा की सरकार है। समय अनुकूल है, हम राम मंदिर निर्माण कर सकते हैं। इस तरह की बयानबाजी के चलते माना जा रहा है कि आने वाले समय ने राम मंदिर मुद्दा और जोर पकड़ सकता है।