नई दिल्ली। राम मंदिर पर चल रहे विवाद के बीच केंद्रीय शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न पार्टियों के साथ चर्चा के बाद हमने एक प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण और मस्जिद का निर्माण लखनऊ में करवाया जा सकने की बात कही गई है।
सैयद वसीम रिजवी ने कहा कि यह एक ऐसा समाधान है जो देश में शांति और भाईचारे को सुनिश्चित करेगा। उन्होंने आगे कहा कि लखनऊ के हुसैनाबाद में मस्जिद का निर्माण करवाने का प्रस्ताव है। मस्जिद को बाबर और मीर बाकी के नाम पर नहीं बनाया जाएगा। मस्जिद का नाम मस्जिदे अमन रखा जाएगा।
गौरतलब है कि अयोध्या विवाद में मध्यस्थ के लिए आध्यात्मिक गुरू श्रीश्री रविशंकर ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली से लखनऊ के ऐशबाग ईदगाह में 17 नवंबर को मुलाकात की थी। इस मौके पर श्री श्री रविशंकर ने कहा कि ‘बातचीत के जरिए हम हर समस्या हल कर सकते हैं। अदालत का सम्मान है लेकिन अदालत दिलों को नहीं जोड़ सकती...अगर हमारे दिल से एक फैसला निकले तो उसकी मान्यता सदियों तक चले।
मौलाना सैयद कल्बे ने किया किनारा : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य व शिया धर्मगुरु मौलाना सैय्यद कल्बे जव्वाद नकवी ने एक कार्यक्रम में अयोध्या विवाद के समाधान को बातचीत के जरिए हल किए जाने को लेकर चल रही सुलह समझौता वार्ता से खुद को अलग बताया। मौलाना जव्वाद ने शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी की ओर से बाबरी मस्जिद स्थल को मंदिर बनाने के लिए हिन्दुओं को सौंपे जाने के सवाल के जवाब में कहा कि बाबरी मस्जिद की जगह शिया वक्फ बोर्ड द्वारा किसी और को देने का कोई हक नहीं है।
उन्होंने कहा कि यदि बातचीत से मसले का हल निकल आता है तो अच्छी बात है लेकिन अगर बातचीत से कोई नतीजा नहीं निकलता है तो मुसलमान हर कीमत पर सुप्रीम कोर्ट के ही फैसले को मानेगा, वह चाहे मस्जिद की जगह पर मन्दिर के ही पक्ष में क्यों न हो।
वक्फ बोर्ड सरकार के अधीन होता है और वसीम रिजवी सरकार के नौकर हैं। उन्होंने कहा कि स्लाटर हाउस चलाने के लिए जो क्राइटएरिया कानून में है उसे पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो सरकार हमारा समर्थन करेगी, हम उसका समर्थन करेंगे।