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मोहन भागवत के बयान पर भड़के अयोध्या के साधु-संत

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संदीप श्रीवास्तव

अयोध्या , शनिवार, 4 जनवरी 2025 (22:55 IST)
RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) प्रमुख मोहन भागवत अपने बयानों से फिर चर्चा में हैं किंतु इस बार उनके बयान का साधु-संत व धर्माचार्य प्रबल विरोध कर रहे हैं। राम नगरी अयोध्या धाम के संतों ने भी भागवत के बयान का विरोध किया है। जगतगुरु करपात्री महाराज ने भागवत के बयान का प्रबल विरोध करते हुए कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि कंकड़-कंकड़ शंकर का रूप है। उस शंकर के स्वरूप को मोहन भागवत कह रहे हैं कि अयोध्या, मथुरा व काशी को छोड़कर लोग खुदाई न करें, लोग नेता बनने की कोशिश न करें।

ये नेता बनें, हमको कोई परहेज नहीं है लेकिन हम नेता बने तो इनको परेशानी हो रही है। नेतागिरी की धौंस दे रहे हैं, कहा कि पांच सौ सालों तक साढ़े चार लाख लोगों ने बलिदान दिया है तब जाकर हमने रामजन्मभूमि पाई है, काशी विश्वनाथ जी को पाया है और मथुरा में भी जाकर जन्मभूमि को निरंकारी कर रहे हैं, संभल में हमारे भगवान कल्कि का अवतार होने वाला है, भगवान की कृपा से वहां 22-22 कुएं पाए जा रहे हैं, शंकरजी के मंदिर पा रहे हैं, राधा-कृष्ण के मंदिर पा रहे हैं और ये मोहन भागवत कह रहे हैं कि नेतागिरी कर रहे हैं।

अरे, मोहन भागवत जी आप धर्म के ऊपर प्रवचन मत दीजिए, आप शंकराचार्य नहीं हैं, आप जीएल स्वामी नहीं हैं, आप जगतगुरु नहीं हैं, ये मैटर हमारे पर छोड़ दीजिए। हमें चारों शंकराचार्य जीएल स्वामी, रामानुजाचार्य और जगतगुरु इसका निर्णय लेंगे, आप निर्णय नहीं ले सकते हैं, आप मत कीजिए। उन्होंने कहा कि रामभद्राचार्य ने भी आपके ऊपर टिप्पणी की है, मुक्तनंद ने भी टिप्पणी की है।
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उन्होंने कहा कि मैं अयोध्या से जीएल स्वामी करपात्री जी महाराज भी आपसे प्रार्थना व निवेदन करना चाहता हूं कि आप लोग कब्जा मत कीजिए ये अच्छी नीति नहीं है कि विश्व हिन्दू परिषद बनाकर राम के ऊपर कब्जा कर लीजिए और संघ प्रमुख होकर आप शंकर के ऊपर कब्जा कर लीजिए। उन्होंने कहा कि वे कभी-कभी कहते हैं कि बच्चा पैदा कीजिए, बच्चे कम हो रहे, चार से अधिक पैदा करो। आप क्या कहना व करना चाहते हैं, आप कभी महंगाई, बेरोजगारी व गरीबों के ऊपर बोले हैं, ये तो आप बोल नहीं सकते हैं।

उन्होंने कहा कि मोहन भागवत जी अब वृद्ध हो गए हैं, अब आप बागडोर नहीं संभाल सकते हैं, आप स्थाई तौर से रिटायरमेंट लेकर घर में रहकर अपनी मानसिकता को चिन्हित कर भजन कीजिए, यही आपसे निवेदन है। उन्होंने कहा कि आप बांग्लादेश में जो हिन्दू मां, बहनों, बेटियों के साथ घोर अत्याचार हो रहा है उस पर नहीं बोल पा रहे हैं।
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वहीं अयोध्या के जगतगुरु स्वामी परमहंस आचार्य ने भी भागवत का विरोध करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत जी कि उम्र ज्यादा होने के कारण उनके सोचने-समझने, बोलने व निर्णय लेने की जो क्षमता है वो बिलकुल खत्म हो गई है। मैं उनको सुझाव दूंगा कि किसी नवयुवक को जो देशभक्त हों और जो संघ की मर्यादा के अनुसार बयान दें, ऐसे को नियुक्त किया जाए, क्योंकि उनकी उम्र ज्यादा हो गई है। इस समय बांग्लादेश में जो हिन्दुओं की निर्मम हत्या हो रही है उसको लेकर पूरे देश को एकजुट होकर कठोर निर्णय लेने की आवश्यकता है।

इस बीच इस तरह का बयान देना बिलकुल गलत है क्योंकि मुग़ल आक्रांताओं द्वारा भारत में जिन जगहों पर मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाई गई हैं, अगर वो साक्ष्यों के आधार पर न्याय पालिका के द्वारा साबित होता है तो फिर वहां जो मंदिर पहले था तो मंदिर होना चाहिए, इस तरह तो अपराध के सामने, जिहाद के सामने आतंकवाद के सामने घुटने टेकना हो जाएगा, जिससे जिहादियों का मनोबल बढ़ेगा।

महंत चंदन दास ने कहा, भागवत का बयान गलत कि सभी लोग नेता नहीं बनना चाहते हैं, लेकिन सब अपने आप में नेता हैं क्योंकि मोदी जी का कहना है कि सब अपनी बात रख सकते हैं। आज देखिए कि न्यूज़ व यूट्यूबर तमाम हो चुके हैं। हर व्यक्ति यूट्यूब के माध्यम से अपनी बात रख रहा है और भागवत जी का ये कहना सरासर गलत है कि कोई नेता बनना चाहता है। अब ये बताइएगा कि जब इस्लामिक समय था तो मंदिरों को तोड़ा गया, ये सब जानते हैं।
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आज हमें मौका मिला है, हमारी सरकार है, हमें बात रखने का हक है और हमको पावर मिला है तो हम क्यों नहीं अपने पावर का इस्तेमाल करें। सभी हिंदुओं के अंदर हिंदुत्व जगी हुई है तो इसमें क्या बुराई है। महंत बृजमोहन दास ने कहा कि वो मोहन भागवत जी का विचार है, उनके विचार पर पूरे देश के हिन्दू नहीं हैं, न रहेंगे, वो संघ के हैं, अपना विचार व्यक्त किए हैं, लेकिन हर हिन्दू उनके बयान पर नहीं जाएगा, हमें मंदिर चाहिए, हमको हमारा हिन्दू राष्ट्र चाहिए, जैसे वो कहते हैं कि हम तलवार के बल पर लेंगे।

अभी कुछ दिन पहले एक मौलवी ने बोला था, सारे मुस्लिम अपनी दुकान बंद कर दो, हिन्दू मर जाएगा खाए बिना, ऐसा थोड़े होता है। उस पर भागवत जी ने क्यों नहीं बोला था। अपनी प्रतिक्रिया देनी चाहिए थी कि तुम सब बंद करो, पूरे भारत में अपनी दुकानें, उलटे सरकारी, जितने अनुदान होता है सब ये खाते हैं और गाते हो पाकिस्तान के तो इसलिए ये बात नहीं है ये विचार मोहन भागवत के हैं, आज कुछ बोले हैं, कल कुछ बोलेंगे, वो नेता हैं, लेकिन हिन्दू की जो लड़ाई है, ये तो चलेगी ही।

ये कहा था मोहन भागवत ने : संभल में मस्जिद-मंदिर विवाद के बीच भागवत ने पिछले हफ्ते सहजीवन व्याख्यानमाला में कहा था, राम मंदिर बनने के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वे नई जगह पर इसी तरह के मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। उन्होंने कहा था कि राम मंदिर हिंदुओं की आस्था का विषय था, इसलिए मंदिर का निर्माण किया गया, लेकिन हर रोज एक नया मामला उठाया जा रहा है। यह स्वीकार्य नहीं है और इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है।
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उन्होंने यह भी कहा था, भारत को यह दिखाने की जरूरत है कि हम एकसाथ रह सकते हैं। हम लंबे समय से सद्भावना के साथ रहे हैं। अगर हम दुनिया को यह सद्भावना देना चाहते हैं, तो हमें इसका मॉडल बनाने की जरूरत है। भागवत के इसी बयान के बाद भारत के साधु-संत, शंकराचार्य आदि सनातनी उनके बयान का विरोध कर रहे हैं।

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