Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

निर्मोही अखाड़ा भगवान का उपासक होने का दावा करता है, तो वह मालिकाना हक खो देगा : सुप्रीम कोर्ट

हमें फॉलो करें निर्मोही अखाड़ा भगवान का उपासक होने का दावा करता है, तो वह मालिकाना हक खो देगा : सुप्रीम कोर्ट
, शुक्रवार, 23 अगस्त 2019 (10:58 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को हिंदू संस्था 'निर्मोही अखाड़ा' से कहा कि अगर वे भगवान राम लला का 'शबैत' (उपासक) होने का दावा करते हैं तो वे विवादित संपत्ति पर मालिकाना हक खो देंगे। अखाड़ा ने अनंतकाल से विवादित स्थल पर भगवान 'राम लला विराजमान' का एकमात्र आधिकारिक 'शबैत' होने का दावा करते हुए कहा था कि वह वहां पर पूजा के लिए 'पुरोहित' नियुक्त करता रहा है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने 2010 के फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को तीन पक्षों (सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला) के बीच बराबर-बराबर बांटने को कहा था। अखाड़ा ने अनंतकाल से विवादित स्थल पर भगवान 'राम लला विराजमान' का एकमात्र आधिकारिक 'शबैत' होने का दावा करते हुए कहा था कि वह वहां पर पूजा के लिए 'पुरोहित' नियुक्त करता रहा है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्‍यीय संविधान पीठ ने कहा, जिस क्षण आप कहते हैं कि आप 'शबैत' (राम लला का भक्त) हैं, आपका (अखाड़ा) संपत्ति पर मालिकाना हक नहीं रह जाता है। पीठ में न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एसए नजीर भी शामिल हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने एकमात्र उपासक के तौर पर अखाड़ा की प्रकृति में भेद करते हुए कहा कि उसका विवादित जमीन पर मालिकाना हक नहीं रह जाता है।

उन्होंने अखाड़ा के वकील सुशील कुमार जैन से कहा, आपका संपत्ति पर एक तिहाई का दावा सीधे चला जाता है। उन्होंने जैन से पूछा कि आपने कैसे सवालों के घेरे में आई संपत्ति पर मालिकाना हक का दावा किया। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, नहीं, मेरा अधिकार समाप्त नहीं होता है। 'शबैत' होने के नाते संपत्ति पर मेरा कब्जा रहा है।

हिंदू संस्था के दावे को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि यद्यपि देवता को न्यायिक व्यक्ति बताया गया है, 'शबैत' को देवता की तरफ से मुकदमा करने का कानूनी अधिकार प्राप्त है। 'राम लला' के वकील से उल्टा रुख अपनाते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता जैन ने कहा, मूर्तियों को पक्षकार नहीं बनाया जाना चाहिए था।

पीठ ने पूछा, क्या आप 'शबैत' होने के नाते संपत्ति पर कब्जे का दावा कर रहे हैं। वकील ने इसका सकारात्मक जवाब दिया। उन्होंने कहा, मेरे 'शबैत' होने की अर्जी पर किसी ने भी आपत्ति नहीं जताई है। उन्होंने कहा, सारी पूजा अखाड़ा द्वारा नियुक्त पुजारी करा रहे हैं। जहां तक 'शबैत' के रूप में मेरे अधिकार का सवाल है तो उस पर कोई विवाद नहीं है।

अखाड़े ने उस विवादित स्थल पर अपना दावा पेश किया, जहां बाबरी मस्जिद को 6 दिसंबर 1992 को गिरा दिया गया था। अखाड़ा ने कहा कि मुसलमानों को वहां 1934 से घुसने और नमाज अदा करने की अनुमति नहीं दी गई है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भारी गिरावट के साथ खुले शेयर बाजार, सेंसेक्‍स और निफ्टी लुढ़के