अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को लेकर मुस्लिम पक्षकरों में फूट पड़ गई है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले क खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पुनर्विचार दाखिल करने के खिलाफ अब मुस्लिमों के कई संगठन सामने आ गए है। मुस्लिमों के बड़े संगठन जमीयत उलेमा-ए- हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी बैठक के दिन ही पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के बोर्ड के फैसले से असहमति जताई थी। उन्होंने पुनर्विचार याचिका के खारिज होने की बात भी सार्वजनिक तौर पर कह दी थी।
बाबरी मस्जिद विंध्वस का मुकदमें में मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के खिलाफ है। उन्होंने सभी से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करने की बात कही है। वहीं जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद बुखारी भी पुनर्विचार याचिका दायर करने के ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फैसले के खिलाफ है। वह मंदिर मस्जिद विवाद को अब और आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं दिखाई देते है। वह साफ कहते हैं कि जब देश के अधिकतर मुसलमान फैसले को स्वीकार कर आगे बढ़ने के पक्ष में है तो फिर क्यों इस पूरे विवाद को आगे बढ़ाया जा रहा है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को लेकर मामले में अहम पक्षकार रहे सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी किनारा कर लिया है। बोर्ड के चैयरमेन जफर फारुखी के मुताबिक सुन्नी वक्फ बोर्ड अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के पक्ष में नहीं है। वहीं अयोध्या में मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन लेने के फैसले पर बोर्ड अपनी 26 नवंबर को होने वाली बैठक में कोई अंतिम निर्णय लेगा।
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दिसंबर के पहले हफ्ते में कोर्ट में याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रहा है। बोर्ड के सदस्य जाफरयाब जिलानी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में पूरा केस लड़ने वाले वकील राजीव धवन से चर्चा कर यह तय किया जाएगा कि पुनर्विचार याचिका कब दायर करना है। बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के फैसले से तीस दिन के अंदर पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है।