नई दिल्ली। कारगिल युद्ध के दौरान पत्रकार बरखा दत्त ने अपनी रिपोर्टिंग से काफी सुर्खियां बटोरी थीं। वहीं उनकी भूमिका पर भी सवाल उठे थे। तब कहा गया था कि बरखा दत्त की रिपोर्टिंग से भारतीय सेना को नुकसान पहुंचा था। वकील जय भट्टाचार्जी ने तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक को पत्र लिखकर बरखा की युद्ध में भूमिका पर जानकारी मांगी है।
पत्र के अनुसार बरखा ने अपनी किताब के पेज-4 पर इस बात का उल्लेख किया है कि कारगिल युद्ध में उनकी भूमिका को लेकर जहरीली कानाफूसी होती है। भट्टाचार्जी ने दावा किया है कि बरखा को लड़ाई खत्म होने के बाद वीपी मलिक ने बधाई देते हुए कहा था कि उन्होंने सेना की ताकत बढ़ाने का काम किया।
बरखा के इरिडियम सैटेलाइट फोन के इस्तेमाल पर भी सवाल उठ रहे हैं। खबरों के मुताबिक बरखा दत्त एकमात्र ऐसी पत्रकार थीं जिनके पास यह फोन था, वह भी वॉर जोन में। ऐसे फोन सिर्फ सेना के बड़े अधिकारी रख सकते हैं। वो भी ऐसे अफसर जो युद्ध क्षेत्र में नहीं होते। भट्टाचार्जी ने संभावना जाहिर की है कि बरखा दत्त का सैटेलाइट फोन पाकिस्तानी सेना सुन रही थी।
इस फोन को लेकर भी बरखा दत्त ने अपनी किताब में सफाई दी है। उन्होंने लिखा है कि वीके मलिक ने उन्हें बताया था कि कुछ और लोगों के पास ऐसे इरीडियम सैटेलाइट फोन हैं और पाकिस्तानी सेना के पास इन फोन को इंटरसेप्ट (बीच में सुनने की) करने की क्षमता नहीं है।
जय के मुताबिक ऐसा दावा करके उन्होंने गेंद मलिक के पाले में डाल दी है और अब मलिक को यह पुष्टि करनी चाहिए कि क्या वाकई आपने बरखा दत्त से यह बात कही थी। टाइगर हिल पर हमले से पहले द्रास में डिप्टी ब्रिगेड कमांडर कर्नल डेविड ने बरखा दत्त को ऑपरेशन की जानकारी दी थी। इसके फौरन बाद बरखा दत्त ने अपने चैनल के लिए लाइव रिपोर्ट की थी। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी फौज के ऐसे कई मैसेज इंटरसेप्ट किए थे, जिनके मुताबिक इस लाइव रिपोर्ट के फौरन बाद पाकिस्तानी रियर कमांडर ने टाइगर हिल पर अपनी फौज को अलर्ट कर दिया था।
पाकिस्तानी फौजी टाइगर हिल के ऊपर पोजीशन लिए बैठे थे और उन्होंने अपने सारे हथियार बिलुकल उस दिशा में घुमा दिए थे जिधर से भारतीय सैनिकों को ऊपर चढ़ना था। ऊपर चढ़ने के लिए जिस रस्सी का इस्तेमाल भारतीय फौजी कर रहे थे पाकिस्तानियों ने बिलकुल ठीक उसी रस्सी पर गोले दागे थे। पाकिस्तानी हमले में करीब 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे।
बरखा दत्त से जुड़ी एक और घटना सामने आ रही है। कई लोग बता चुके हैं कि बरखा जब 56 ब्रिगेड हेड क्वार्टर के गेट पर रात के वक्त रिकॉर्डिंग कर रही थीं, तभी उनके कैमरामैन ने कैमरा लाइट जला दी थी ताकि रिकॉर्डिंग में उनका चेहरा, हेलमेट और माइक दिख सके। रिकॉर्डिंग खत्म होते ही वो वहां से चली गईं। इसके 5 मिनट के अंदर पाकिस्तानी सेना ने ठीक उसी जगह पर भारी गोलाबारी शुरू कर दी थी। इस हमले में 17 गढ़वाल राइफल्स के एक अफसर और तीन जवानों की मौत हो गई थी।
वकील ने अपने पत्र में सवाल उठाया है कि 6 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर बैठे पाकिस्तानी सैनिकों और उनके हेड क्वार्टर के बीच बातचीत इंटरसेप्ट की थी। इसके बाद आप बरखा दत्त से बेहद नाराज हुए थे और आपने पंद्रहवी कोर के हेड क्वार्टर को आदेश दिया था कि फौरन पूरे इलाके से मीडिया को हटा दिया जाए।
जय भट्टाचार्जी ने अपने पत्र में लिखा है कि ये सारे तथ्य लड़ाई से जुड़े अलग-अलग लोगों से बातचीत के बाद निकले नतीजों में सामने आए हैं। भट्टाचार्जी ने सवाल उठाया है कि जब ये आरोप हैं तो आखिर इनकी जांच क्यों नहीं हुई?