नई दिल्ली, रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) और बचपन बचाओ आंदोलन के बीच शुक्रवार को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। यह करार एक ट्रैफिकिंग मुक्त देश के लिए छापामारी और बचाव सहायता, क्षमता निर्माण एवं जागरूकता लाने के लिए किया गया है।
बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) की स्थापना नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा साल 1980 में की गई थी।
इसका मकसद बच्चों के खिलाफ होने वाली किसी भी किस्म की हिंसा का खात्मा और एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना है, जहां सभी बच्चे मुक्त, स्वस्थ व सुरक्षित हों और उन्हें अच्छी शिक्षा मिले।
समझौता ज्ञापन के तहत बचपन बचाओ आंदोलन उचित संचार सामग्री साझा करके, वॉयस मैसेजेस एवं वीडियो क्लिप आदि के जरिए जागरूकता पैदा कर आरपीएफ को सहयोग करेगा।
इन मैसेजेस एवं वीडियो क्लिप को नियमित रूप से ट्रेनों में एवं स्टेशनों पर चलाया जाएगा। इससे अपराधियों के बीच डर पैदा करने में मदद मिलेगी।
बीबीए और आरपीएफ के साझा बयान में कहा गया है कि बचपन बचाओ आंदोलन आरपीएफ के लोगों के लिए तकनीकी सहयोग, प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यशाला का आयोजन करेगा।
इस मौके पर बचपन बचाओ आंदोलन की सीईओ रजनी सेखरी सिबल ने इस समझौते पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, देश में बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकने के लिए रेलवे सुरक्षा बल के साथ जुड़कर काम करने में हमें गर्व महसूस हो रहा है।
कोरोनाकाल के दौरान बचपन बचाओ आंदोलन ने दस हजार से ज्यादा बच्चों को ट्रैफिकिंग से बचाया था। इनमें से ज्यादातर रेलवे स्टेशनों से बचाए गए थे। हम भविष्य में भी रेलवे सुरक्षा बल के साथ काम करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
वहीं, आरपीएफ के डायरेक्टर जनरल संजय चंदर ने चाइल्ड ट्रैफिकिंग के खिलाफ लड़ाई में बीबीए की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि इस समझौते से इस लड़ाई को और मजबूती मिलेगी।