नई दिल्ली। देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर अब थमती जा रही है, लेकिन दूसरी लहर में तबाही मचाने वाला डेल्टा वेरिएंट के नए स्वरूप ने चिंता बढ़ा दी है। डेल्टा प्लस नामक यह वेरिएंट ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है।
खबरों के मुताबिक ब्रिटेन की स्वास्थ्य संस्था पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (PHE) के मुताबिक डेल्टा वेरिएंट के 63 जीनोम नए K417N म्यूटेशन के साथ सामने आए हैं। कोविड वैरिएंट्स पर PHE की लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 7 जून तक डेल्टा प्लस वेरिएंट के 6 केस सामने आ चुके थे।
वैज्ञानिकों को आशंका है कि कोरोना मरीजों को दी जा रही मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कॉकटेल इस वेरिएंट पर बेअसर हो सकती है। देश में मई की शुरुआत में मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कॉकटेल को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी गई थी।
दूसरी ओर, कोरोना के म्यूटेशन पर लगातार रिसर्च कर रहे साइंटिस्ट ज्ञानेश्वर चौबे वेबदुनिया से बातचीत में कहते हैं कि कोरोना के आने के बाद उसमें लगातार म्यूटेशन हो रहे है और पहले डेल्टा और अब डेल्टा प्लस वेरिएंट उसकी म्यूटेशन का परिणाम है। कोरोना जैसे-जैसे लोगों को इफेक्ट करता जाता है, उतना ही ज्यादा इसमें म्यूटेशन होता जाता है। कोरोनावायरस का म्यूटेशन एक रेंडम प्रोसेस है।
हालांकि चौबे कहते हैं कि डेल्टा प्लस वेरिएंट से घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि देश में कोरोना वैक्सीनेशन का अभियान बड़े पैमाने पर जारी है और लोगों को वैक्सीनेटेड कर वायरस के म्यूटेशन को रोका जा सकता है। कोरोनावायरस के डेल्टा वेरिएंट को रोकने के लिए वैक्सीनेशन काफी कारगर है।