कृषि बिल के विरोध में आज किसानों का भारत बंद,पंजाब में पटरियों पर तो मध्यप्रदेश में भी सड़क पर उतरे किसान
भारत बंद को लेकर राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष से ‘वेबदुनिया’ की सीधी बात
भोपाल। कृषि क्षेत्र में सुधारों के लिए पर संसद में पास कराए गए कृषि बिलों के विरोध में आज किसानों ने एक दिन के भारत बंद का ऐलान किया है। देशभर के दो दर्जन से अधिक किसानों संगठन के आव्हान पर बुलाए गए भारत बंद के समर्थन में आज पंजाब,हरियाणा,उत्तरप्रदेश से लेकर मध्यप्रदेश तक किसान सड़क पर उतरे है। कृषि बिल के विरोध में पंजाब में किसानों ने गुरुवार से ही रेल रोको आंदोलन शुरु कर दिया है जिसका व्यापक असर देखने को मिल रहा है।
देशव्यापी भारत बंद के समर्थन में मध्यप्रदेश में 12 किसान संगठन की अगुवाई में किसान सड़क पर उतरने की तैयारी में है। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन मध्यप्रदेश के अध्यक्ष राहुल राज ‘वेबदुनिया’ से बात करते हुए कहते हैं कि आज का भारत बंद किसी एक संगठन का बंद न होकर देश भर के किसानों का बंद है। आज देश भर के किसान काले कृषि कानून के विरोध में सड़क पर उतरेंगे। जहां तक बात मध्यप्रदेश के ही तो प्रदेश में आज हर जिले में किसान और किसान संगठन सड़क पर उतरकर चक्काजाम कर अपना विरोध दर्ज कराएंगे।
‘वेबदुनिया’ से बातचीत में किसान नेता राहुल राज कहते हैं कि किसानों का यह भारत बंद सिर्फ किसानों के लिए नहीं बल्कि आम लोगों के लिए भी है लेकिन आज लोगों को इस बात को समझ नहीं आ रहा है।
किसान नहीं सरकार फैला रही भ्रम- केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के एमएसपी को लेकर किसान संगठनों पर भ्रम की राजनीति करने के आरोप पर राहुल राज कहते हैं उनका सीधा सवाल है कि अगर सरकार किसानों को एमएसपी देने को लेकर इतनी प्रतिबद्ध है तो क्यों नहीं है एमएसपी गारंटी बिल संसद में लाकर इसको अन्य तीन बिलों की तरह एक कानून बना देती है।
वह कहते हैं कि भ्रम तो सरकार फैला रही है यह बिल किसानों के लिए नहीं व्यापारियों के लिए है और किसानों को इससे कोई लाभ नहीं है। किसान कभी किसी का गुलाम नहीं रहा और आगे भी किसी का गुलाम नहीं रहेगा। मोदी सरकार पहले ही सब कुछ अपने मित्रों को दे चुकी है और अब किसानों को बेचने की कोशिश कर रही है।
वह सवाल करते हुए कहते हैं कि आज सरकारी मंडियों में सरकार की नाक के नीचे एमएसपी (MSP) होने के बाद भी किसान की फसल एमएसपी से नीचे के दामों पर बिकती है और सरकार व्यापारियों पर कोई अंकुश नहीं लगा पाती तो फिर आने वाले समय में इस नए कृषि कानून के बाद क्या गारंटी रहेगी कि किसान को उसकी फसल का लागत मूल्य भी मिल पाएगा क्योंकि मंडी के बाहर जब टैक्स नहीं लगना है तो व्यापारी सरकारी मंडी में क्यों आएगा और तब किसान फसल बेचेगा।
इसके साथ वह भंडारण की व्यवस्था में बदलाव करने पर कहते हैं कि आज आम आदमी को समझ नहीं आ रहा है लेकिन आने वाले समय में जब किसानों के हाथ में कुछ भी नहीं रहेगा तब बाजार में किस कीमत पर अनाज बिकेगा इसका अनुमान लगाना भी मुश्किल है।
वह कहते हैं कि सभी किसान संगठनों और किसानों की मांग है कि सरकार संसद से पास इन तीनों बिलों को वापस लें या चौथा अध्यादेश लाकर MSP गांरटी का कानून बनाए। वह कहते हैं कि सरकार किसानों को कितना मूर्ख बनाएगी और अब किसानों के खेत खलिहान लेने की कोशिश कर रही है इसलिए अब किसानों का यह आंदोलन रूकने वाला नहीं है।