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मुरैना में एयरफोर्स की फाइटर कॉम्बैट एक्सरसाइज में सुखोई-मिराज के क्रैश होने के पीछे बड़ा कारण : एयर कमोडोर मृगेंद्र सिंह

मिड एयर क्रैश हुआ या कोई ह्यूमन या टेक्निकल एरर कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में आएगा

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विकास सिंह

, शनिवार, 28 जनवरी 2023 (15:50 IST)
मध्यप्रदेश के मुरैना में आज भारतीय वायुसेना के दो एंडवास लड़ाकू विमान हादसे का शिकार हो गए। एयरफोर्स के ग्वालियर एयरबेस से उड़ान भरने के बाद दो लड़ाकू विमान सुखोई-30 और मिराज-2000 हादसे का शिकार हो गए। मुरैना एसपी आशुतोष बागरी ने हादसे की पुष्टि करते हुए बताया कि जिले के पहाड़गंज इलाके में दो विमान हादसे का शिकार हुए है। हादसे में दो पायलट सकुशल बचे है और वहीं एक पायलट के बॉडी पार्टस मिले है।भारतीय वायुसेना ने भी हादसे में एक पायलट की मौत की पुष्टि कर दी है।

भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक साथ दो इतने एंडवास्ड फाइटर प्लेन के हादसे के शिकार होने के बहुत ही कम मामले सामने आए है, संभवत अभ्यास के दौरान दो इतने एंडवास फाइटर प्लेन के क्रैश होने का पहला मामला सामने आया है। ‘वेबदुनिया’ ने पूरे हादसे को लेकर सुखोई-30 की उड़ान भर चुके एयर कमोडोर मृगेंद्र सिंह से खास बातचीत की। 

‘वेबदुनिया’ से बातचीत में एयर कमोडोर मृगेंद्र सिंह हादसे को बहुत दुखद बताते हुए कहते हैं कि सुखोई-30 और मिराज-2000 भारतीय वायुसेना के ही नहीं बल्कि विश्व के सबसे एंडवास फाइटर प्लेन है। वह कहते हैं कि बतौर फाइटर पायलट सुखोई-30 को मैंने खुद उड़ाया है और मिराज-2000 के साथ कई अभ्यान में शामिल हुआ हूं। ऐसे में दावे से कह सकता हूं कि दोनों पायलट प्लेन में जो उपकरण और इंजन बहुत टेस्टेड है इनके फेल होने के बहुत कम गुंजाइश होती है। हलांकि मशीन है और हो सकता हो कोई टेक्निकल एरर आ गया हो।

एयर कमोडोर मृगेंद्र सिंह बताते है कि सुखोई-30 और मिराज-2000 फोर्थ जेनरेशन के एडवांस्ड फाइटर प्लेन है और दोनों विमानों का सेफ्टी रिकॉर्ड बहुत अच्छा रहा है। अगर टेक्निकल खराबी होती है तो वर्निग पहले मिल जाती है और यह फाइटर प्लेन टेकऑफ ही नहीं कर सकते है। 

आज हादसे का शिकार हुए दोनों फाइटर प्लेन ने रेगुलर अभ्यास के लिए ग्वालियर एयरबेस से उड़ान भरी थी।‘वेबदुनिया’ से बातचीत में मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि वायुसेना में पहले भी हादसे हुए है लेकिन इतनी एंडवास टेक्नॉलाजी के दो विमानों के हादसे बहुत बहुत कम हुए है। आज हुए सुखोई-30 और मिराज-2000 के हादसे की पूरी हकीकत जांच के बाद ही सामने आ सकेगी।

फाइटर प्लेन की जो ट्रेनिंग होती है उसमें 2 एयरक्रॉप्ट और 3 से 4 एयरकॉफ्ट आपस में कॉम्बैट करते है तो उसमें मिड एयर क्रैश भी हो सकता है। ऐसे में अभ्यास के दौरान क्या मिड एयर क्रैश हुआ या कोई ह्यूमन या टेक्निकल एरर था अभी हमको बहुत जल्दी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए।

फाइटर फ्लाइंग या फाइटर कॉम्बैट एक्सरसाइज जो होती है बहुत ही स्किल्ड और हाईलेवल की होती है। उड़ान भरने से पहले एक लंबी ट्रेनिंग होती और एक्सराइज से पहले 4 से 5 घंटे तक की ब्रीफिंग और डिस्कशन होता है। इन सबके बावजूद इस तरह की घटना हुई है तो कोई न कोई बड़ा कारण होगा और भारतीय वायुसेना जरूर देश को इसका कारण बताएगी।

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