पटना। बिहार में लगातार एक हफ्ते से जारी बारिश की वजह से उत्तरी बिहार और सीमांचल क्षेत्र में गंडक, बूढ़ी गंडक, कमला बालन, कोसी, महानंदा, परमान नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। पटना में गंगा का जलस्तर भी पिछले 24 घंटे में खतरे के निशान से 2.67 मीटर ऊपर पहुंच गया है।
बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में बाढ़ से हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक के अनुसार अब तक 52 गांवों के 45061 निवासी बाढ़ से प्रभावित हुए हैं और एनडीआरएफ और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीमों की मदद से 1154 लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
बक्सर से भागलपुर जिले के कहलगांव तक गंगा नदी का जलस्तर बढ़ गया है। पटना के अलावा मुंगेर में जलस्तर खतरे के निशान से 1.16 मीटर और भागलपुर में 1.10 मीटर बढ़ गया। पटना के दीघा घाट में जलस्तर खतरे के निशान से महज 86 सेंटीमीटर नीचे दर्ज किया गया।
पिछले हफ्ते पड़ोसी देश नेपाल के आसपास के इलाकों में 48 घंटों के भीतर 200 मिमी से अधिक बारिश हुई थी और दोनों देशों के बीच सीमा के करीब स्थित वाल्मीकि नगर बैराज के सभी फाटकों को खोला जाना था। अशोक के अनुसार वाल्मीकि नगर बैराज में जल स्तर लगभग 6 मीटर कम हो गया है और यह 106.83 मीटर है जो खतरे के निशान से लगभग 3 मीटर नीचे है। गंडक नदी खतरे के निशान से एक मीटर से अधिक 63.08 मीटर ऊपर बह रही है।
असम में चेतावनी : असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) ने बाढ़ के दौरान सरकारी राहत शिविरों के स्थान पर अस्थाई आश्रय स्थलों पर रहने वाले लोगों के लिए सोमवार को एक विशेष कोविड-19 परामर्श जारी किया।
जारी दिशानिर्देशों में ऐसे प्रत्येक शिविर के लिए एक समिति गठित करना भी शामिल है जो प्रभावित लोगों और प्रशासन के बीच मध्यस्थ का काम करेगी ताकि उन लोगों को जांच,टीकाकरण, सेनेटाइजेशन और संदिग्ध संक्रमितों के लिए अलग से टेंट जैसी सुविधाएं आसानी से मिल सकें।
दरअसल असम का एक बड़ा इलाका भौगोलिक तौर पर ऐसा हैं जहां बाढ़ आने की आशंका होती है और प्रत्येक वर्ष इस इलाके में बाढ़ जरूर आती है। एएसडीएमए की ओर से जारी बयान के मुताबिक औसतन 30 से 40 लाख लोग बाढ़ से पिछले दस वर्षों से प्रभावित होते आ रहे हैं।