नई दिल्ली। राज्यसभा चुनावों में असम, त्रिपुरा और नागलैंड की एक-एक सीटों पर जीत हासिल करने के बाद इतिहास में पहली बार उच्च सदन में भाजपा के सदस्यों का आंकड़ा 100 पर पहुंच गया।
हाल में छह राज्यों की राज्यसभा की 13 सीटों पर हुए राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव में भाजपा को पंजाब में एक सीट का नुकसान हुआ, लेकिन उपरोक्त तीनों राज्यों और हिमाचल प्रदेश में उसे एक-एक सीटों का फायदा हुआ। इन राज्यों के सेवानिवृत्त राज्यसभा सदस्य विपक्षी दलों से थे। पंजाब की सभी 5 सीटों पर आम आदमी पार्टी के सदस्य निर्वाचित हुए हैं।
राज्यसभा की वेबसाइट पर नए सदस्यों संबंधी आंकड़े हालांकि अभी अपडेट नहीं हुए हैं, लेकिन यदि हाल में हुए चुनाव संबंधी आंकड़े यदि उसमें जोड़ दिए जाएं तो भाजपा के सदस्यों की संख्या 100 हो जाएगी। वर्तमान में राज्यसभा में भाजपा के 97 सदस्य हैं।
हालांकि इसके बावजूद 245-सदस्यीय राज्यसभा में भाजपा अभी तक बहुमत से दूर है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत के बाद भाजपा का ग्राफ लगातार बढ़ता चला गया है।
वर्ष 2014 में उच्च सदन में भाजपा के सदस्यों की संख्या 55 थी। उसके बाद कई राज्यों में चुनावी जीत दर्ज करने के बाद उसके आंकड़े बढ़ते रहे हैं और अब वह 100 पर पहुंच गई है।
इससे पहले 1990 में कांग्रेस के 108 सदस्य राज्यसभा में थे। इसके बाद कांग्रेस के सदस्यों की संख्या लगातार घटती चली गई। एक-एक कर कई राज्यों में उसे अपनी सरकारें गंवानी पड़ी और इसका असर राज्यसभा में उसके सदस्यों की संख्या पर पड़ा।
हालांकि आने वाले दिनों में भाजपा की इस बढ़त पर रोक लग सकती है क्योंकि आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान और झारखंड में राज्यसभा के चुनाव होने हैं और इन राज्यों में विरोधी दलों की सरकारें हैं।
उत्तर प्रदेश में भाजपा को बढ़त मिलने के आसर हैं। उत्तर प्रदेश में 11 सीटें खाली हुई हैं और इनमें से भाजपा कम से कम 9 सीटें जीत सकने की स्थिति में है। राज्यसभा से सेवानिवृत्त हो रहे 11 सदस्यों में 5 भाजपा के हैं।