रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में नक्सली एलारमडगु में रविवार को बुरकापाल जैसी बड़ी घटना को अंजाम देने की कोशिश में थे, लेकिन सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई के कारण वह नाकाम रहे। राज्य में नक्सलियों के खिलाफ अभियान के विशेष पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी ने आज खुलासा किया कि बीते रविवार को सुकमा जिले के धुर नक्सल प्रभावित भेज्जी थाना क्षेत्र के एलारमडगु गांव के करीब नक्सली एक बड़ी घटना को अंजाम देने के फिराक में थे लेकिन सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई कर उन्हें भागने पर मजबूर कर दिया।
अवस्थी ने भाषा को बताया कि जिले में इंजरम से भेज्जी तक की सडक के बाद अब भेज्जी से चिंतागुफा के मध्य सड़क का निर्माण किया जा रहा है। 28 किलोमीटर लंबी इस सड़क के निर्माण के लिए सुरक्षा बल के जवान अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं। पुलिस के सहयोग से इस सड़क के लगभग पांच किलोमीटर हिस्से में मुरम बिछाने का कार्य पूरा हो गया है।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि इंजरम, भेज्जी, दोरनापाल, चिंतलनार और चिंतागुफा का इलाका नक्सलियों के मिलिट्री बटालियन नंबर एक के प्रभाव वाला इलाका है, जिसने इस क्षेत्र में कई बड़ी नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया है। इस क्षेत्र के बुरकापाल में पिछले वर्ष अप्रैल महीने में नक्सलियों ने सीआरपीएफ के एक गश्ती दल पर हमला कर 25 जवानों की हत्या कर दी थी।
जवानों की हत्या तब की गई थी जब वह निर्माणाधीन सड़क की सुरक्षा के लिए रवाना हुए थे। नक्सली इस बार भी इसी तरह की बड़ी घटना को अंजाम देने की कोशिश में थे। अवस्थी ने बताया कि रविवार तड़के सुरक्षा बल के लगभग 90 जवानों को गश्त पर रवाना किया गया था।
दल में एसटीएफ और डीआरजी के लड़ाके थे। जवानों को इस बात की जानकारी दी गई थी कि क्षेत्र में नक्सली मौजूद हो सकते हैं। दल जब एलारमडगु गांव के जंगल में था तब उन्हें नक्सली गतिविधि की जानकारी मिली थी। जानकारी के बाद बल ने पोजीशन ले ली थी और अंदाजा लगाया था कि लगभग 45 नक्सली वहां मौजूद हो सकते हैं। लेकिन इसी दौरान नक्सलियों के एक दल ने वहां से कुछ दूरी पर सड़क निर्माण में कार्यरत मुंशी अनिल कुमार की हत्या कर दी तथा निर्माण कार्य में लगे आठ ट्रेक्टरों और एक जेसीबी मशीन में आग लगा दी। वहीं दूसरे दल ने सुरक्षा बल पर गोलीबारी शुरू कर दी।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा बलों पर लगभग दो सौ की संख्या में नक्सलियों ने हमला किया था और इसमें महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल थीं। हमले के दौरान नक्सली लगातार गोंडी भाषा में चिल्ला रहे थे कि अब एसटीएफ और डीआरजी की बारी है, इन्हें छोड़ना नहीं है। अवस्थी कहते हैं कि क्षेत्र में एसटीएफ और डीआरजी ने नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाइयों को अंजाम दिया है। यही कारण है कि इस बार उनके निशाने पर डीआरजी और एसटीएफ के जवान थे।
अधिकारी ने बताया कि जब बड़ी संख्या में नक्सलियों ने पुलिस दल के जवानों पर हमला किया और संघर्ष करते हुए दो जवान शहीद हो गए लेकिन तब भी जवानों ने पीछे हटने के बजाय सामना करना तय किया। लगभग 11.30 बजे से शुरू हुई गोलीबारी लगातार चार घंटे तक चली।
इस घटना में छह जवान घायल भी हुए। अवस्थी ने बताया कि इस मुठभेड़ में सुरक्षा बल के जवानों का सामना अपने से दोगुनी संख्या के नक्सलियों से हुआ और सुरक्षा बल इसमें भारी पड़ा। सुरक्षा बल के जवानों के अनुसार उन्होंने इस दौरान कई नक्सलियों को गोली लगते और गिरते देखा है। इस मुठभेड़ में 20 से ज्यादा संख्या में नक्सलियों के मारे जाने की संभावना है। और यही कारण है कि सुरक्षा बल के जवानों को भारी पड़ता देख नक्सली वहां से भाग गए। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि नक्सली एक बड़ी घटना को अंजाम देने के फिराक में थे लेकिन सुरक्षा बल की बहादुरी के कारण नक्सलियों की कोशिश कामयाब नहीं हुई।