नई दिल्ली। नियंत्रक महालेखापरीक्षक (कैग) की दिल्ली सरकार को लेकर एक रिपोर्ट मंगलवार को विधानसभा में पेश हुई। इस रिपोर्ट में केजरीवाल सरकार और दिल्ली के विभिन्न विभागों पर कई तरह के सवाल उठे हैं। रिपोर्ट में इन विभागों की कार्यप्रणाली पर तो सवाल उठाए ही गए हैं, सरकार की अदूरदर्शिता की भी कलई खोली गई है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में राजधानी के आर्थिक, सामाजिक और अन्य क्षेत्रों में जिस प्रकार की भ्रष्टाचार संबंधी अनियमितताओं की तरफ इशारा किया है उनमें दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
केजरीवाल ने एक टवीट् कर कहा कि कैग ने अपनी रिपोर्ट में जिस तरह के भ्रष्टाचार और अनियमितता की तरफ इशारा किया है उनमें प्रत्येक दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, 2013 के लाभार्थियों के पंजीकरण और डिजिटाइजेशन के क्रियान्वयन में कमियां पाई गई हैं। ये कमियां सामाजिक, आर्थिक और सामान्य सेक्टरों में पाई गई हैं।
दिल्ली विधानसभा में बुधवार को कैग की रिपोर्ट पेश करते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने कहा कि खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के विभाग ने इस योजना के लाभार्थियों की पात्रता के बारे में स्वतंत्र रूप से जांच-पड़ताल नहीं की और सिर्फ उनकी इस घोषणा पर यकीन कर लिया कि उनके परिवार में कोई भी सदस्य अपात्र श्रेणी का नहीं है।
इसमें कहा गया है कि जिन लोगों के पास दूसरों राज्यों के आधार कार्ड थे, वे भी इस योजना के दिल्ली में लाभार्थी बन गए और उचित दर दुकानों के लाइसेंस होल्डरों तथा परिवारों जिनके पास आर्थिक क्षमता थी उन्होंने भी इस योजना के लाभ हासिल कर लिए। विशेष खाद्य सामग्री को ढोने के लिए जिन पंजीकृत बसों, स्कूटरों और तिपहिया वाहनों का इस्तेमाल किया गया उन्हें लेकर भी शक है कि क्या उनका इस्तेमाल परिवहन के लिए किया गया था।
कैग ने शिक्षा के क्षेत्र में कहा कि राष्ट्रीय खेल नीति 2001 का अनुसरण करने के लिए शिक्षा निदेशालय ने दिल्ली खेल नीति को अंतिम रूप नहीं दिया और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में खेल सुविधाओं और गतिविधियों के विकास को अधिक तवज्जो नहीं दी गई। शिक्षा निदेशालय के तहत 13 जिलों में से 3 में से 1 में भी खेल सुविधा नहीं है और 6 जिले जहां 7.69 लाख छात्र पढ़ते हैं उनके लिए तरणताल के अलावा और कोई खेल सुविधा नहीं है।
इसमें कहा गया है कि दिल्ली खेल स्कूल के लिए जमीन 2003 में अधिग्रहीत कर ली गई थी लेकिन जून 2017 तक इसकी स्थापना नहीं हो सकी है। धनराशि के जारी होने में देरी, गतिविधियों के संचालित नहीं होने और खेल कोचों की कमी के कारण नियत योजनाएं समय पर प्रभावी रूप से क्रियान्वित नहीं हो सकी हैं।