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स्वीटी और बेबी कहना हमेशा यौन टिप्पणियां नहीं होतीं: कलकत्ता उच्च न्यायालय

हमें फॉलो करें स्वीटी और बेबी कहना हमेशा यौन टिप्पणियां नहीं होतीं: कलकत्ता उच्च न्यायालय

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, गुरुवार, 9 मई 2024 (18:56 IST)
Calcutta High Court remark on sweetie and baby: कलकत्‍ता हाईकोर्ट ने महिलाओं को लेकर एक नई टिप्‍पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि स्वीटी और बेबी हमेशा यौन टिप्पणियां नहीं होती।

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हाल ही में पाया कि महिलाओं को संबोधित करने के लिए 'स्वीटी' और 'बेबी' का उपयोग कुछ सामाजिक क्षेत्रों में प्रचलित है और इन शब्दों के उपयोग में हमेशा यौन रंग नहीं होता है।

उसी फैसले में न्यायालय ने चेतावनी भी दी कि यदि कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम (POSH अधिनियम) के प्रावधानों का दुरुपयोग किया जाता है, तो यह महिलाओं के लिए और अधिक बाधाएं पैदा कर सकता है।

दरअसल, न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य ने यौन उत्पीड़न के आरोपों से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां कीं हैं।

क्‍या था केस: दरअसल, तटरक्षक बल की एक महिला कर्मचारी ने आरोप लगाया था कि उसके वरिष्ठ ने कई तरीकों से उसका यौन उत्पीड़न किया था, जिसमें उसे संबोधित करने के लिए 'स्वीटी' और 'बेबी' शब्दों का इस्तेमाल भी शामिल था। उसने अपनी शिकायत में तर्क दिया कि वरिष्ठ अधिकारी के बयानों में यौन संकेत थे।

दूसरी तरफ वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन्होंने कभी भी इन शब्दों का इस्तेमाल यौन रूप से नहीं किया। उन्होंने कहा कि जब शिकायतकर्ता ने अपनी परेशानी व्यक्त की तो उन्होंने ऐसे शब्दों का इस्तेमाल बंद कर दिया। उच्च न्यायालय ने स्वीकार किया कि आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) द्वारा ऐसे शब्दों के उपयोग को अनुचित माना गया था, लेकिन यह भी कहा कि उन्हें हमेशा यौन रूप से रंगीन होने की आवश्यकता नहीं है।

क्‍या कहा कोर्ट ने : कोर्ट ने 24 अप्रैल के फैसले में कहा, "आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) ने स्वयं 'बेबी और स्वीटी' अभिव्यक्तियों के उपयोग को अनुचित माना है। हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि एक बार याचिकाकर्ता ने प्रतिवादी नंबर 7 (कथित अपराधी) को व्हाट्सएप के माध्यम से उस संबंध में अपनी असुविधा के बारे में सूचित किया। बाद में उसने याचिकाकर्ता को संबोधित करने के लिए इन्‍हें कभी नहीं दोहराया। ये अभिव्यक्तियां कुछ सामाजिक क्षेत्रों में प्रचलित हो सकती हैं और जरूरी नहीं कि वे हमेशा यौन रूप से रंगीन हों।

कोर्ट ने कहा, ‘ये दोनों अभिव्यक्तियों ('स्वीटी', 'बेबी') के इस्तेमाल को जरूरी नहीं कि यौन रूप से प्रेरित माना जाए।"

क्‍या थे आरोप: शिकायतकर्ता ने अपने वरिष्ठ अधिकारी पर विभिन्न तरीकों से उसका यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था, जिसमें उसे अनुचित तरीके से घूरना और उसके कमरे में झांकना भी शामिल था। हालांकि, न्यायालय ने कहा कि इन आरोपों का समर्थन करने वाला कोई गवाह नहीं था। अदालत ने कहा, चूंकि शिकायत कुछ देरी के बाद दर्ज की गई थी, इसलिए आईसीसी को आरोपों को प्रमाणित करने के लिए कोई सीसीटीवी फुटेज भी नहीं मिला। न्यायाधीश ने आगे कहा, ‘घूरने के कई रंग होते हैं और जरूरी नहीं कि यह हमेशा यौन उत्पीड़न का कारण बने, जैसा कि 2013 अधिनियम में सोचा गया है’

'हगिंग द कोस्ट' गलत नहीं: अदालत इस आरोप से भी सहमत नहीं थी कि वरिष्ठ अधिकारी ने शिकायतकर्ता से बात करते समय यौन संबंध में 'हगिंग द कोस्ट' वाक्यांश का इस्तेमाल किया था। एकल-न्यायाधीश ने कहा कि यह तट रक्षक हलकों में इस्तेमाल की जाने वाली सामान्य शब्दावली का एक रूप है।

आखिरकार अदालत ने शिकायतकर्ता द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया और आरोपी वरिष्ठ अधिकारी को गलत काम से मुक्त करने के आईसीसी के फैसले की पुष्टि की।
Edited by Navin Rangiyal

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