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वेबदुनिया पर है तो सच है...

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सोशल मीडिया के दौर में फेक न्यूज के बढ़ते चलन पर अंकुश लगाने के लिए देश के प्रमुख मीडिया घरानों ने एक मुहिम शुरू की है, जिसमें कहा गया है कि 'अगर हमारे पास प्रमाण नहीं तो समझिए खबर छपेगी ही नहीं'। इस मुहिम को पूरे देश में सराहना मिल रही है, वेबदुनिया भी खुले दिल से इस प्रयास की सराहना और समर्थन करता है। 
 
पत्रकारिता की संस्कार शाला 'नईदुनिया' की छांव तले पल्लवित वेबदुनिया ने भी कभी पत्रकारिता के सिद्धांतों से समझौता नहीं किया है। 23 सितंबर 1999 में अपनी स्थापना के साथ ही वेबदुनिया ने विश्वास की परंपरा को न सिर्फ हिन्दी बल्कि अपनी अन्य भाषाओं के पोर्टल - तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम, गुजराती, मराठी और अंग्रेजी में भी पुरजोर तरीके से आगे बढ़ाया है। 
 
विश्व का पहला हिन्दी पोर्टल वेबदुनिया दो दशक की अपनी यात्रा में कभी भी अपने सिद्धांतों से नहीं डिगा। सनसनी से दूर रहते हुए हमेशा तथ्यात्मक, सही और निरपेक्ष समाचार प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।


 समाचार और वीडियो प्रस्तुति के दौरान वेबदुनिया ने हमेशा इस बात का विशेष ध्यान रखा कि इससे किसी भी व्यक्ति, संस्था, समुदाय आदि की छवि न तो धूमिल हो और न ही उसे महिमामंडित किया जाए। 
 
हमारा सदैव यही प्रयास होता है कि समाचार को जस का तस प्रस्तुत किया जाए। सिर्फ सूचना की तरह। इसके लिए हमारे पास विश्वसनीय समाचार एजेंसियों की सेवाएं तो हैं ही, साथ ही हमारे संवाददाता भी हमें तय मानकों के अनुरूप ही समाचार सामग्री उपलब्ध करवाते हैं। 
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...और सबसे अहम, सोशल मीडिया के इस युग में इन्हें हम तथ्य, तर्क और सच की कसौटी पर कसते हैं, जांचते-परखते हैं तब पाठकों के समक्ष रखते हैं। ऐसे में हमें खबरें डिलीट करने की नौबत ही नहीं आती। यही कारण है कि वेबदुनिया एक विश्वसनीय ब्रांड बन चुका है। 
 
भारत में डिजिटल मीडिया का अग्रणी पोर्टल वेबदुनिया तकनीक और भाषा का अद्भुत समन्वय है जो करोड़ों पाठकों को आठ भाषाओं में डेस्कटॉप, मोबाइल पर समाचार और अन्य सामग्री प्रस्तुत करता है। यही बात वेबदुनिया को दूसरे पोर्टल्स से खास बनाती है।

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