भाजपा शासित चुनावी राज्यों में लागू हो सकती है ओल्ड पेंशन स्कीम?
चुनावी राज्य कर्नाटक में पुरानी पेंशन योजना लागू करने के लिए समिति का गठन
चुनावी साल में भाजपा शासित राज्यों में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू हो सकती है। कांग्रेस शासित राज्यों में पुरानी पेंशन योजना लागू हो जाने के बाद अब केंद्र के साथ भाजपा शासित राज्यों में पुरानी पेंशन योजना को लागू करने के लिए सरकार पर दबाव बड़ा दिया है। भाजपा शासित राज्य कर्नाटक में ओल्ड पेंशन स्कीम योजना के लिए समीति का गठन करने के साथ अब चुनावी राज्य मध्यप्रदेश में पुरानी पेंशन योजना को लागू करने को लेकर दबाव बढ़ गया है। हलांकि कर्मचारी संगठनों के भारी दबाव के बाद भी शिवराज सरकार ने बजट में ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर कोई एलान नहीं किया है।
चुनाव से पहले कर्नाटक में सरकार का बड़ा दांव-चुनावी राज्य कर्नाटक में कर्मचारी एसोसिएशन के पुरानी पेंशन योजना को लागू करने को लेकर हुई हड़ताल के बाद अब राज्य सरकार अब पुरानी पेंशन योजना को लागू करने पर आगे बढ़ती दिख रही है। कर्मचारियों की मांग के आगे झुकते हुए सरकार ने एक समिति का गठन किया है जिसकी रिपोर्ट के आधार पर पुरानी पेशन योजना की बहाली का निर्णय लिया जाएगा। समीति राज्य में चुनाव के ऐलान के ठीक पहले अप्रैल के अंत तक अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। तीन सदस्यीय समीति कांग्रेस शासित राज्यों जिन्होंने अपने राज्य में पुरानी पेंशन योजना लागू कर ली है वहां का दौरा कर पुरानी पेंशन योजना कैसे लागू की जाए इस पर अपनी रिपोर्ट देगी।
मध्यप्रदेश सरकार पर बढ़ा दबाव-कर्नाटक के साथ भाजपा शासित मध्यप्रदेश में भी पुरानी पेंशन योजना लागू करने के लिए कर्मचारी संगठनों ने सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली की मांग को लेकर पिछले दिनों मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कर्मचारी संगठनों ने बड़ा विरोध प्रदर्शन किया। जैसे-जैसे लोकसभा और विधानसभा चुनाव नजदीक होते जा रहे है कर्मचारी संगठन लामबंद होकर विरोध प्रदर्शन करने लगे है।
OPS बना चुनावी मुद्दा?-2004 से बंद ओल्ड पेंशन स्कीम के इस साल चुनावी मुद्दा बनने का मुख्य कारण हिमाचल चुनाव में कांग्रेस की जीत और भाजपा की हार से जोड़कर देखा जा रहा है। पिछले साल हिमाचल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के पीछे राजनीतिक विश्लेषक ओल्ड पेंशन स्कीम (OPC) की बहाली का वादा बड़ा कारण मानते हैं। चुनाव के बाद कांग्रेस के साथ भाजपा नेताओं ने दबी जुबान स्वीकार किया कि राज्य में तख्ता पलट होने का बड़ा कारण ओल्ड पेंशन स्कीम रहा।
वहीं दूसरी कांग्रेस शासित कई राज्यों ने ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने के बाद अब भाजपा शासित राज्यों पर दबाव बढ़ गया है। कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश के साथ छत्तीसगढ़, राजस्थान और झारखंड में राज्य सरकारों ने ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू कर दिया है।
कांग्रेस शासित राज्यों में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू होने के बाद भाजपा शासित कर्नाटक और मध्यप्रदेश जैसे राज्य जहां इस वर्ष विधानसभा चुनाव होने है वहां पर ओल्ड पेंशन स्कीम चुनावी मुद्दा बन गई है। मध्यप्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने एलान कर दिया है कि सत्ता में वापस आते ही पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल किया जाएगा।
पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली की मांग क्यों?-2003 में अटल बिहारी सरकार ने देश में ओल्ड पेंशन स्कीम को खत्म कर नेशनल पेंशन स्कीम को लागू कर दिया था। देश में 1 अप्रैल 2004 से नेशनल पेशन स्कीम को लागू किया गया है। पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली की मांग कर रहे कर्मचारी संगठन नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) को कर्मचारी विरोधी बता रहे है।
कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए लागू सिविल सेवा पेंशन नियम 1972 यानि ओल्ड पेंशन स्कीम को खत्म कर दिया और एक जनवरी 2004 के बाद सरकारी सेवा में नियुक्ति कर्मचारियों और अधिकारियों पर नेशनल पेंशन स्कीम लागू की गई है जो पूरी तरह शेयर बाजार पर अधारित है और असुरक्षित है।
NPS पर क्यों भारी OPS?- नेशनल पेंशन स्कीम के लागू होने के बाद ही कर्मचारी संगठनों के इसका विरोध करने के एक नहीं कई कारण है। पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी को मिलने वाले आखिरी वेतन का रिटायरमेंट के बाद सरकार 50 फीसदी पेंशन का भुगतान करती थी,जबकि नेशनल पेंशन स्कीम में 2004 के बाद सरकारी नौकरी में आए कर्मचारी अपनी सैलरी से 10 फीसदी हिस्सा पेंशन के लिए योगदान करते हैं वहीं राज्य सरकार 14 फीसदी योगदान देती है। कर्मचारियों की पेंशन का पैसा पेंशन रेगुलेटर PFRDA के पास जमा होता है, जो इसे बाजार में निवेश करता है।
इसके साथ पुरानी पेंशन में कर्मचारियों की पेंशन हर छह महीने पर मिलने वाले महंगाई भत्ते (DA) के अनुसार तय होती है, इसके अलावा जब-जब सरकार वेतन आयोग का गठन करती है, पेंशन भी रिवाइज हो जाती है, जबकि नेशनल पेंशन स्कीम में ऐसा कुछ भी नहीं है। इसके साथ ही पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के समय 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है जबकिन नेशनल पेंशन स्कीम में इसकी कोई गारंटी नहीं है।