नई दिल्ली। उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास 'एंटीलिया' के पास से एक स्कॉर्पियो में मिले विस्फोटक के मामले में आतंकी घटना की जिम्मेदारी लेने के लिए जिस मोबाइल फोन पर टेलीग्राम चैनल तैयार किया गया था, उसे तिहाड़ जेल से जब्त किया गया है। पुलिस ने इस मामले में जेल प्रशासन से संपर्क किया था।
इस बीच, दिल्ली सरकार ने दिल्ली के कारागार महानिदेशक से मोबाइल जब्त होने के मामले में रिपोर्ट तलब की है। दिल्ली के गृहमंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि इस मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
जैन ने तिहाड़ जेल से मोबाइल जब्त होने के मामले में महानिदेशक (जेल) को पत्र लिखा है और पूरे मामले पर रिपोर्ट तलब की है।
मुंबई पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को बताया था कि मुंबई में मुकेश अंबानी के आवास के पास एसयूवी में विस्फोटक रखने की जिम्मेदारी लेने का दावा करने वाले जैश-उल-हिंद संगठन का टेलीग्राम चैनल दिल्ली के तिहाड़ इलाके में बनाया गया।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक मामले में दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने बृहस्पतिवार को तिहाड़ जेल प्रशासन से संपर्क किया। दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि तिहाड़ जेल प्रशासन ने एक मोबाइल फोन जब्त किया है, जिसके बारे में संदेह है कि उसी से टेलीग्राम चैनल शुरू किया गया था और आतंकी कृत्यों की जिम्मेदारी ली गई थी।
पुलिस उपायुक्त (विशेष प्रकोष्ठ) प्रमोद सिंह कुशवाह ने बताया कि विशेष प्रकोष्ठ से मिली सूचना के बाद तिहाड़ जेल प्रशासन ने जेल से एक मोबाइल फोन जब्त किया, जहां पर आतंकवाद के कई दोषी बंद हैं। आशंका है कि टेलीग्राम चैनल शुरू करने के लिए इस फोन का इस्तेमाल किया गया और आतंकी कृत्यों की जिम्मेदारी ली गई।
अधिकारी ने बताया कि तिहाड़ जेल से जब्त मोबाइल के संबंध में फॉरेंसिक विश्लेषण और आगे जांच की जाएगी। मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने बताया था कि पुलिस ने एक निजी साइबर एजेंसी की मदद से उस फोन की लोकेशन पता की, जिस पर टेलीग्राम का चैनल बनाया गया था। उन्होंने बताया कि जांच में पता चला कि फोन की लोकेशन दिल्ली की तिहाड़ जेल के पास है।
गौरतलब है कि 25 फरवरी को दक्षिण मुंबई में मुकेश अंबानी के आवास के बाहर विस्फोटक से लदी एक एसयूवी मिली थी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक 26 फरवरी को टेलीग्राम एप पर चैनल शुरू किया गया और अंबानी के आवास के बाहर गाड़ी लगाने के लिए जिम्मेदारी लेने वाला संदेश 27 फरवरी की रात को एप पर पोस्ट किया गया था।
संदेश में क्रिप्टोकरेंसी में भुगतान करने की मांग की गई और एक लिंक भी उसमें दी गई थी। अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान पाया गया कि लिंक उपलब्ध नहीं थी जिसके बाद जांच करने वाले अधिकारियों को संदेह हुआ कि किसी ने शरारत की है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जैश-उल-हिंद का एक और संदेश 28 फरवरी को आया जिसमें दावा किया गया कि घटना में संगठन की कोई भूमिका नहीं थी।
आरंभ में मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने मामले में जांच शुरू की। यह गाड़ी मनसुख हिरेन के पास थी। हिरन की संदिग्ध हालात में मौत के बाद मामले को महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) को स्थानांतरित किया गया।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने विस्फोटक लदी गाड़ी की बरामदगी के मामले में जांच का जिम्मा सोमवार को अपने हाथ में ले लिया।