नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा घर-घर राशन पहुंचाने की योजना शुरू करने से 5 दिन पहले ही गतिरोध उत्पन्न हो गया है। केंद्र ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार से योजना नहीं लागू करने को कहा क्योंकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सब्सिडी के आधार पर जारी खाद्यान्न का इसके लिए इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी ने यह जानना चाहा है कि केंद्र सरकर क्यों राशन माफिया को खत्म करने के खिलाफ है और योजना को लागू करने से महज कुछ दिन पहले केंद्र के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक पेश किया था जिसमें उप राज्यपाल को और अधिक शक्तियां देने का प्रावधान है। इससे एक बार फिर केंद्र और दिल्ली सरकार में खींचतान शुरू हो गई है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 25 मार्च को सीमापुरी इलाके में 100 घरों तक राशन पहुंचाकर इस योजना की शुरुआती करने वाले थे।
दिल्ली सरकार को लिखे पत्र में, केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव एस जगन्नाथन ने कहा कि एनएफएसए के तहत वितरण के लिए केंद्र सरकार द्वारा आवंटित सब्सिडी वाले खाद्यान्न को किसी राज्य की विशेष योजना या किसी दूसरे नाम या शीर्षक से कोई अन्य योजना को चलाने में उपयोग नहीं किया जा सकता है।
इसमें कहा गया है कि हालांकि, अगर दिल्ली सरकार अपनी अलग योजना लाती है और उसमें एनएफएसए को नहीं मिलाया जाता है तो केंद्र को इस पर कोई आपत्ति नहीं होगी।
अधिकारी ने दिल्ली सरकार की 20 फरवरी की अधिसूचना का हवाला दिया है जो पीडीएस के तहत घर घर राशन की डिलीवरी कराने की 'मुख्यमंत्री घर घर राशन योजना' (एमएमजीजीआरवाई) के नाम से राज्य की विशिष्ट योजना है। आप ने कहा कि यह दुखद है कि केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार से 'मुख्यमंत्री घर घर राशन योजना' रोकने को कहा है। (भाषा)