NEET-UG paper leak controversy: नीट-यूजी पेपर लीक विवाद में केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दायर कर कहा कि 5 मई को हुई परीक्षा रद्द करना तर्कसंगत नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि करीब 24 लाख विद्यार्थी नीट परीक्षा में बैठे थे। एनटीए द्वारा आयोजित यह परीक्षा पेपर लीक की खबरों के बाद विवाद में आ गई थी।
इससे पहले गुरुवार को नीट-यूजी में सफल हुए गुजरात के 50 से ज्यादा परीक्षार्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर केंद्र व एनटीए को 5 मई को हुई परीक्षा रद्द नहीं करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। उन्होंने शीर्ष अदालत से केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को नीट-यूजी परीक्षा में पेपर लीक और नकल जैसी अनुचित गतिविधियों में शामिल छात्रों तथा अन्य लोगों की जांच व पहचान करने और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई का निर्देश देने की भी मांग की है।
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26 याचिकाओं पर कोर्ट करेगा सुनवाई : दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट में इस परीक्षा को लेकर 26 याचिकाएं दायर की गई हैं और इनमें दोबारा परीक्षा कराने कराने की मांग की गई है। एनटीए सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए नीट-यूजी का आयोजन करती है। इस साल 5 मई को 4,750 केंद्रों पर यह परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें लगभग 24 लाख परीक्षार्थी शामिल हुए थे।
प्रश्न पत्र लीक समेत अनियमितताओं के आरोपों के कारण कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए तथा विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को उठाया। पिछली परीक्षा रद्द करने, दोबारा परीक्षा कराने और उच्चस्तरीय जांच की मांग संबंधी याचिकाओं पर 8 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में में सुनवाई होगी। सिद्धार्थ कोमल सिंगला और 55 अन्य छात्रों की नई याचिका वकील देवेंद्र सिंह के माध्यम से दायर की गई है।
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याचिका में कहा गया है कि माननीय अदालत को प्रतिवादियों (केंद्र और एनटीए) को नीट-यूजी दोबारा आयोजित नहीं करने का निर्देश देना चाहिए ... क्योंकि यह न केवल ईमानदार और मेहनती छात्रों के लिए नुकसानदायक होगा, बल्कि शिक्षा के अधिकार का और संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन होगा। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala