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मैरिटल रेप को अपराध कहने के खिलाफ केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , गुरुवार, 3 अक्टूबर 2024 (22:05 IST)
केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को दिए अपने जवाब में कहा कि मैरिटल रेप कानूनी नहीं बल्कि एक सामाजिक मुद्दा है। मैरिटल रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर किया है और मैरिटल रेप को अपवाद के तौर पर रेप के अपराध के दायरे से बाहर रखने को सही ठहराया है।
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सरकार ने कहा है कि रेप के अपवाद में यह प्रावधान है कि पति अगर पत्नी के साथ उसकी मर्जी के खिलाफ भी संबंध बनाता है तो वह रेप नहीं माना जाता है। केंद्र सरकार ने कहा है कि संसद ने इस मामले में डिबेट के बाद इस अपवाद को बरकरार रखा है। अगर इसे अपराध के दायरे में लाया जाएगा तो इससे दांपत्य जीवन और शादी संस्थान को भारी नुकसान होगा।
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केंद्र ने यह स्वीकार किया कि शादी के बाद भी महिला की सहमति का महत्व खत्म नहीं हो जाता है और महिला की गरिमा के किसी भी तरह के उल्लंघन पर आरोपी को सजा दी जानी चाहिए। साथ ही केंद्र ने यह भी कहा कि शादी के रिश्ते के बाहर इस तरह की घटना होती है, तो उसका नतीजा शादी के रिश्ते में होने वाले उल्लंघन से अलग होता है।
 
केंद्र ने कहा कि विवाह में पति-पत्नी को एक-दूसरे से शारीरिक रिश्ता बनाने की उम्मीद रहती है, हालांकि ऐसी उम्मीदों के चलते पति को यह अधिकार नहीं मिलता कि वह पत्नी के साथ जबरदस्ती करे। किसी पति को एंटी-रेप कानून के तहत सजा देना गैरजरूरी कार्रवाई हो सकती है।

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