श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रमा पर भारत के दूसरे मिशन चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण का रिहर्सल शुक्रवार को पूरा कर लिया।
चंद्रयान का प्रक्षेपण 15 जुलाई को तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया जाएगा। इसके 6 सितंबर को चंद्रमा पर पहुंचने की उम्मीद है। इस मिशन के लिए जीएसएलवी-एमके3 एम1 प्रक्षेपण यान का इस्तेमाल किया जाएगा। इसरो ने बताया कि मिशन के लिए रिहर्सल शुक्रवार को पूरा हो गया है।
इस मिशन के मुख्य उद्देश्यों में चंद्रमा पर पानी की मात्रा का अनुमान लगाना, उसकी जमीन, उसमें मौजूद खनिजों एवं रसायनों तथा उनके वितरण का अध्ययन करना और चंद्रमा के बाहरी वातावरण की ताप-भौतिकी गुणों का विश्लेषण है। उल्लेखनीय है कि चंद्रमा पर भारत के पहले मिशन चंद्रयान-1 ने वहां पानी की मौजूदगी की पुष्टि की थी।
इस मिशन में चंद्रयान के साथ कुल 13 स्वदेशी पे-लोड यान वैज्ञानिक उपकरण भेजे जा रहे हैं। इनमें तरह-तरह के कैमरे, स्पेक्ट्रोमीटर, रडार, प्रोब और सिस्मोमीटर शामिल हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक पैसिव पेलोड भी इस मिशन का हिस्सा है जिसका उद्देश्य पृथ्वी और चंद्रमा की दूरी सटीक दूरी पता लगाना है।
यह मिशन इस मायने में खास है कि चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा और सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अब तक दुनिया का कोई मिशन नहीं उतरा है।
चंद्रयान के 3 हिस्से हैं। ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में चक्कर लगाएगा। लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। इसे 'विक्रम' नाम दिया गया है। यह 2 मिनट प्रति सेकंड की गति से चंद्रमा की जमीन पर उतरेगा। 'प्रज्ञान' नाम का रोवर लैंडर से अलग होकर 50 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर घूमकर तस्वीरें लेगा। (वार्ता)