नई दिल्ली। भारत के महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन-2 के सोमवार को सफलतापूर्वक प्रक्षेपण के साथ ही देशभर के वैज्ञानिकों ने इसरो को बधाई दी और कहा कि यह देश के तकनीकी कौशल, वैज्ञानिक क्षमता और अन्वेषण की भावना को दर्शाता है।
दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 का सोमवार को यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया। 'बाहुबली' नाम के सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी-मार्कIII एम-1 ने प्रक्षेपण के करीब 16 मिनट बाद 3,850 किलो के यान को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।
चंद्रयान-2 ने अपराह्न 2 बजकर 43 मिनट पर चांद की ओर उड़ान भरी। भारत के अंतरिक्ष शोध के क्षेत्र में यह एक बड़ा कदम है और इस मिशन के साथ ही भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश होगा, जो चांद पर रोवर उतारेगा।
भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) कोलकाता के प्रोफेसर दिब्येंदु नंदी ने कहा कि सफल प्रक्षेपण पर इसरो को बधाई, जो जटिल कदमों की श्रृंखला में पहला कदम है, जो चंद्रमा की सतह पर लैंडर और रोवर की सॉफ्ट लैंडिंग में परिणत होगा।
नंदी ने बताया कि आज एक वैज्ञानिक और नागरिक के तौर पर हम अपने अंतरिक्ष वैज्ञानिकों और अभियंताओं की उपलब्धि की एक सुर में सराहना करते हैं। टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (टीआईएफआर) के एसोसिएट प्रोफेसर सुदीप भट्टाचार्य ने कहा कि 3 कारणों से चंद्रयान-2 बेहद महत्वपूर्ण है- तकनीकी कौशल का प्रदर्शन, वैज्ञानिक क्षमता, अन्वेषण की क्षमता।
उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर का सफल संचालन इस दिशा में बड़ी प्रगति होगी। भट्टाचार्य ने कहा कि मौजूदा समय को संभवत: सौर मंडल के इंसानी अन्वेषण की शुरुआत के तौर पर याद किया जाएगा और ऐसे में हमारा सबसे नजदीकी ब्रह्मांडीय निकाय होने के कारण चंद्रमा, पृथ्वी और चंद्रमा की व्यवस्था, उनकी उत्पत्ति और विकास को समझने के लिए होने वाले वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए केंद्र स्थापित करने की पहली जगह होगा।
भट्टाचार्य ने चंद्रयान-2 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान और भविष्य में चंद्रमा पर किसी मानव मिशन के लिए महत्वपूर्ण करार दिया। आईआईएसईआर के राजेश कुंबले नायक ने कहा कि भारतीय अंतरग्रहीय मिशन के लिए आगे की दिशा में बढ़ाया गया यह एक महत्वपूर्ण कदम है। (भाषा)