बेंगलुरु। इसरो ने शुक्रवार को कहा कि उसने 'चंद्रयान-2' को चांद की चौथी कक्षा में आगे बढ़ाने की प्रक्रिया शुक्रवार को सफलतापूर्वक पूरी की। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इस प्रक्रिया (मैनुवर) के पूरी होने के बाद कहा कि अंतरिक्ष यान की सभी गतिविधियां सामान्य हैं।
इसरो ने एक अपडेट में कहा कि कि प्रणोदन प्रणाली का प्रयोग करते हुए चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की चौथी कक्षा में आज (30 अगस्त 2019 को) सफलतापूर्वक प्रवेश कराने की कार्ययोजना के मुताबिक 6 बजकर 18 मिनट पर शुरू किया गया।
चंद्रमा की चौथी कक्षा में प्रवेश कराने की इस पूरी प्रक्रिया में 1,155 सेकंड का समय लगा। अब 1 सितंबर 2019 को शाम 6 से 7 बजे के बीच चंद्रयान-2 को चंद्रमा की 5वीं कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा। देश की बड़ी सफलता को साबित करते हुए भारत के दूसरे चंद्रमा मिशन चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की कक्षा में 20 अगस्त को प्रवेश किया था।
इसरो ने कहा कि इसी 2 सितंबर को लैंडर 'विक्रम' ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और 7 सितंबर को यह चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में 'सॉफ्ट लैंडिंग' करेगा। लैंडर के चांद की सतह पर उतरने के बाद इसके भीतर से 'प्रज्ञान' नाम का रोवर बाहर निकलेगा और अपने 6 पहियों पर चलकर चांद की सतह पर अपने वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा।
इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' चंद्र मिशन-2 का सबसे जटिल चरण है। अतंरिक्ष एजेंसी ने कहा कि अंतरिक्ष यान की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है।
‘दक्षिणी ध्रुव’ पर उतरने वाला दुनिया का पहला मिशन : तिरंगे को लेकर जा रहा चंद्रचान-2 चंद्रमा के ‘दक्षिणी ध्रुव’ पर उतरने वाला दुनिया का पहला मिशन होगा। इस मिशन में चंद्रयान-2 के साथ कुल 13 स्वदेशी पे-लोड यान वैज्ञानिक उपकरण भेजे गए हैं। इनमें तरह-तरह के कैमरा, स्पेक्ट्रोमीटर, रडार, प्रोब और सिस्मोमीटर शामिल हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक पैसिव पेलोड भी इस मिशन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की सटीक दूरी का पता लगाना है।
भारत बन जाएगा दुनिया का चौथा देश : चंद्रचान-2 अभियान पर लगभग 1,000 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। यह अन्य देशों के द्वारा चलाए गए अभियान की तुलना में काफी कम है। यदि यह अभियान सफल रहता है तो भारत, रूस, अमेरिका और चीन के बाद चांद की सतह पर रोवर को उतारने वाला चौथा देश बना जाएगा। इस वर्ष की शुरुआत में इसराइल का चंद्रमा पर उतरने का प्रयास विफल रहा था।