ऑनलाइन गेम के जरिए किस तरह से बच्चों का यौन शोषण किया जा रहा है इसका सनसनीखेज खुलासा एक्टर अक्षय कुमार ने किया है। अक्षय कुमार ने साइबर क्राइम के बढ़ते खतरे को उजागर करते हुए बताया कि कैसे उनकी 13 साल की बेटी ऑनलाइन गेम खेलते-खेलते गंदी हरकत का शिकार होने से बच गई। अक्षय कुमार के इस खुलासे के बाद ऑनलाइन गेम्स की आड़ में कैसे आसानी से बच्चों को शिकार बनाया जा रहा है, इसको लेकर बहस तेज हो गई है। वहीं केंद्र सरकार अब ऑनलाइन गेम्स पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में दिखाई दे रही है।
बाल-बाल बची अक्षय कुमार की बेटी- मुंबई में एक कार्यक्रम में अक्षय कुमार ने कहा कि मैं आप सभी को एक छोटी सी घटना बताना चाहता हूं जो कुछ महीने पहले मेरे घर पर घटी थी. मेरी बेटी वीडियो गेम खेल रही थी और कुछ वीडियो गेम ऐसे होते हैं जिन्हें आप किसी के साथ खेल सकते हैं। आप किसी अनजान अजनबी के साथ खेल रहे होते हैं.जब आप खेल रहे होते हैं तो कभी-कभी उधर से एक मैसेज आता है, फिर एक मैसेज आया, क्या आप मेल हैं या फीमेल? तो उसने फीमेल क्लिक करके जवाब दिया। फिर उसने एक मैसेज भेजा. क्या आप मुझे अपनी न्यूड तस्वीरें भेज सकते हैं? यह मेरी बेटी थी। उसने सब कुछ बंद कर दिया और उसने जाकर मेरी पत्नी को बताया. इस तरह चीजें शुरू होती हैं. यह भी साइबर अपराध का एक हिस्सा है।
एक्टर अक्षय कुमार के इस सनसनीखेज खुलासे के बाद देश में एक बार ऑनलाइन गेम को लेकर बहस तेज हो गई है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की हाल में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में ऑनलाइन फ्रॉड के सबसे अधिक मामले सामने आई है। वहीं रिपोर्टस के मुताबिक इंटरनेट के जरिए यौन शोषण के मामले में देश में बेंगलुरु पहले स्थान पर और मुंबई दूसरे स्थान पर है। इंटरनेट के जरिए यौन शोषण के मामलों में बेंगलुरू शहर भारत में सबसे आगे है. इस शहर में ऐसे लगभग 374 मामले सामने आए हैं, वहीं मुंबई में लगभग 179 मामले सामने आए है।
ऑनलाइन बाल यौन शोषण के शिकार बच्चे-आज लगभग हर घर मे स्मार्ट फोन एवं इंटरनेट तक बच्चों की पहुँच बेहद आसान हो गई है तब ऑनलाइन बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार (ओसीएसईए) जैसे गंभीर अपराधों का खतरा और भी बढ़ गया हैं। क्राई-चाइल्ड राइट्स एंड यू एवं सीएनएलयू (चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी) पटना के अध्ययन के मुताबिक 14-18 वर्ष के आयु वर्ग के किशोर एवं किशोरियों ऑनलाइन बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार के सबसे आसान शिकार होते हैं। अध्ययन के मुताबिक 14-18 वर्ष की बच्चियों को ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से अजनबियों द्वारा दोस्ती की मांग करने, व्यक्तिगत और पारिवारिक विवरणों के बारे मे जानकारी अर्जित करने और यौन सलाह देने के लिए संपर्क किया जाता है।
ऑनलाइन गेम्स से बढ़ रहा कंडक्ट डिसऑर्डर-एक ओर ऑनलाइन गेम के जरिए बच्चों को यौन शोषण का शिकार बना जा रहा है तो दूसरी ओऱ खतरनाक ऑनलाइन गेम्स बच्चों में कंडक्ट डिसऑर्डर की समस्या को बढ़ा रहे है। बच्चे का आक्रमक व्यवहार,हिंसात्मक स्वभाव,गुस्सा होना, उत्तेजित होना,बार-बार झूठ बोलना भी कंडक्ट डिसऑर्डर के लक्षण है। कंडक्ट डिसऑर्डर में बच्चा ऐसे व्यवहार को बार-बार दोहराता जिससे दूसरों को कष्ट पहुंचता हो। वहीं साथ के बच्चों को दिक्कत महसूस होती हो जैसे साथियों को धमकाना, मारना, चिढ़ाना, चोरी करना आदि कंडक्ट डिसऑर्डर की समस्या के लक्षण है।
मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि ऑनलाइन हिंसक प्रवृत्ति वाले गेम्स बच्चों के मस्तिष्क में न्यूरोकेमिकल असंतुलन का कारण बनते जा रहे हैं। ऑनलाइन गेम्स की प्रकृति का बच्चों के स्वभाव पर सीधा असर होता है, यानी कि यदि बच्चा आक्रामक गेम्स खेलने में अधिक समय बिता रहा है,ऐसे गेम्स जिसमें टास्क हों, मारपीट, खून-खराबा आदि हों, तो यह बच्चे के दिमाग को उसी के अनुरूप परिवर्तित करने लगती है।
बच्चों पर ध्यान दें पैरेंट्स-मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि पैरेंट्स को बच्चों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। पैरेंट्स की जिम्मेदारी है कि बच्चों का अधिक ध्यान रखे। बच्चों के सामने खुद ज्यादा मोबाइल न चलाएं, बच्चों को अपना समय जरूर दें, उनसे बाते करें,बच्चों के मन में क्या चल रहा है जानने की कोशिश करें,बच्चों को ऑनलाइन गेम की का ऑप्शन दें, बच्चों को ड्राइंग, डांस आदि करवाएं। अगर बच्चों को कुछ देर के लिए मोबाइल दे रहे हैं, तो अपने सामने ही गेम खेलने को कहें।