हाल ही में उत्तराखंड के बाड़ाहौती में चीनी सैनिकों की घुसपैठ सुर्खियों में है। यह घटना 30 अगस्त की बताई जा रही है। 100 के लगभग चीनी सैनिक 5 किलोमीटर तक भारतीय सीमा में घुस गए और जाते-जाते एक पुल को भी तोड़ गए। दरअसल, उत्तराखंड में करीब 345 किलोमीटर लंबी सीमा चीन से मिलती है।
यदि पिछले कुछ सालों की बात करें तो चीनी सैनिक आधा दर्जन से ज्यादा बार उत्तराखंड के रास्ते भारतीय सीमा में घुसपैठ कर चुके हैं। हालांकि इसके बाद भारत ने चीन से लगी सीमा पर सैनिकों की तैनाती भी बढ़ाई है। इसके साथ ही बाड़ाहोती और माणापास में स्थानीय चरवाहों को बकरियों को चराने की अनुमति भी दी गई है। कई बार ये चरवाहे ही घुसपैठ की जानकारी देते हैं। इसीलिए इन्हें क्षेत्र की दूसरी रक्षा पंक्ति भी माना जाता है।
चीन जहां अपनी हरकतों से बाज नहीं आता, वहीं ज्यादातर बार भारतीय सैनिकों चीनियों को बुरी तरह खदेड़ दिया। पहले भी चमोली जिले के बाड़ाहोती नो-मैन्स लैंड में चीनी सेना के जवानों के घुसपैठ कर आने की खबरें आती रही हैं, लेकिन इस बार जो नया हुआ वो यह कि पहली बार इतनी अधिक संख्या चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की है। हालांकि 2017 में 200 के लगभग चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुसे थे, लेकिन वे ज्यादा अंदर तक नहीं आ पाए थे।
इस बार यह मामला अन्य बीते सालों की अपेक्षा गंभीर माना जा रहा है। इस दौरान 100 से अधिक चीनी सैनिकों के घोड़े पर सवार होकर इस क्षेत्र में घुसपैठ कर चीन सीमा से आगे 5 किलोमीटर भारत की ओर तक चले आने की बातें सामने आई हैं। कई बार ऐसे भी मौके भी आए जब चीनी हेलीकॉप्टर भारतीय सीमा के भीतर और आसपास मंडराते देखे गए। 2015 में चीनी सैनिकों ने भारतीय चरवाहों की खाद्य सामग्री नष्ट कर दी थी।